गुरु गोविन्द सिंहने पन्थ स्थापित क्यों किया


गुरु गोविन्द सिंहजीने कहा था, “आज्ञा भई अकालकी तभी चलायो पन्थ, सब सिक्खनको हुकुम है, गुरु मानयो ग्रन्थ ।” अर्थात सन्त या अध्यात्मविद, कालानुसार भिन्न पन्थोंकी स्थापना, विशेष कारण एवं विशिष्ट कार्य हेतु, विशेषकर धर्मरक्षणार्थ या अपनी साधना-पद्धतिके प्रसार हेतु, ईश्वर आज्ञा अनुरूप करते रहे हैं । गुरु गोविन्द सिंहजीने भी ईश्वराज्ञा अनुरूप खालसा पन्थकी स्थापना की थी जिसके माध्यमसे शस्त्र और शास्त्र दोनोंकी शिक्षा देकर हिन्दुओंको सामर्थ्यवान बनाया । उनके इस प्रयासके कारण ही उत्तर भारतमें मुगलोंका आतंक होनेपर भी हिन्दू धर्मका अस्तित्व बचा रहा । वस्तुतः उन्होंने अपनी क्षात्रवृत्तिका प्रदर्शन कर, हिन्दुओंके रक्षणार्थ धर्मयोद्धा सिद्ध (तैयार) किए और सनातन धर्म उनके इस प्रयास हेतु सदैव उनकी इस गाथाका यशगान करेगा ।



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