गुरु कृपा पाना ब्रह्माण्डका सबसे कठिन कार्य !


कुछ लोग सन्तोंके लिए कुछ भी करते नहीं है; किन्तु उनसे कहते हैं कि आप कृपा करें इससे हमारा उद्धार हो जाएगा । ऐसे सभी लोगोंको बता दें कि सन्तोंने कठोर साधना कर गुरुकृपा प्राप्त की होती है; इसलिए वे भी सुपात्रपर ही अपनी कृपा बरसाते हैं । किसीके बोलनेसे कृपा बरसती नहीं है !
    इंदौर जनपदमें स्थित परशुराम जन्मस्थलीके महन्त परम पूज्य बद्री बाबासे वार्तालापके मध्य एक दिवस मैंने उनसे पूछा कि आप किस आयुमें इस स्थानपर आए थे ? तो उन्होंने कहा कि जब वे अपने श्रीगुरुके पास आए थे तो उनकी आयु २५ वर्ष थी । मैंने पूछा आप क्या साधना करते थे ? उन्होंने कहा, प्रतिदिन १५ किलो आटेकी रोटी बनाता था । एक किलो आटेमें ६ रोटी बनाता था और जो भी भक्त आते थे उन्हें प्रसाद परोसकर खिलाता था, यह सेवा मैंने ६० वर्षकी आयुतक की ! साथ ही गायें चराने वन (जंगल) ले जाता था और चार किलोमीटर नीचेसे गांवसे पीनेका पानी भरकर लाता था । उन्होंने अपने आगेकी भी संघर्ष गाथा हमें बताई है, वह पुनः कभी बताउंगी । और हमसे कुछ साधक पूछते हैं कि हम घर बैठे एक घण्टे जप कर रहे हैं, आधा घण्टा सेवा भी करते हैं, मेरा आध्यात्मिक स्तर बढा या नहीं ? वहीं कुछ लोग कहते हैं ‘फोन और व्हाट्सऐप्प’ पर हमें ध्यान और सूक्ष्मका ज्ञान दे दें !  ध्यान रहे गुरु कृपा पाना इस ब्रह्माण्डका सबसे कठिन कार्य है; किन्तु यदि कोई शिष्य भावसे गुरुकी आज्ञाका पालन करता है, तो शिष्यका निश्चित ही कल्याण होता है !


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