सर्वप्रथम गुरुकृपा पाने हेतु साधना करनी पडती है, तत्पश्चात गुरुकृपा बनाए रखने हेतु साधना करनी पडती है, अर्थात् गुरुकृपाका प्रवाह सतत हो, इस हेतु साधनामें अखण्डता बनाये रखना परम आवश्यक है अर्थात् मोक्षप्राप्ति तक साधकको साधनारत रहना चाहिए ! – तनुजा ठाकुर
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