हनुमान स्तुति


नमोऽस्तु रामाय सलक्ष्मणाय देव्यै च तस्यै जनकात्मजायै ।

नमोऽस्तु रुद्रेन्द्र यमनिलेभ्यो नमोऽस्तु चन्द्राग्नि मरुत्गणेभ्यः ।।
अर्थ : माता सीताको अशोक वाटिकामें न ढूंढ पानेपर हनुमानजी सर्व देवोंसे सहायता हेतु आर्ततासे इस प्रकार प्रार्थना करते हैं
” प्रभु श्री राम सह लक्ष्मण एवं जनक पुत्री सीता माताको नमन करता हूं, भगवान शिव सह समस्त रुद्रोंको भी नमन करता हूं, देवाधिराज इंद्र , यमदेव , वरुणदेव , सूर्य, चन्द्र एवं अन्य देवताओंको नमन करता हूं ।”



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