‘प्रधानमन्त्री या किसी भी नागरिकके प्रति अभद्र भाषाका प्रयोग अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रता नहीं’: प्राथमिकी निरस्त करनेसे उच्च न्यायालयने किया मना


१८ जुलाई, २०२२
      इलाहाबाद उच्च न्यायालयने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय गृहमन्त्री अमित शाह और केन्द्रीय मन्त्रियोंके विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करनेके आरोपित मुमताज मंसूरी नामक व्यक्तिकी याचिका निरस्त कर दी । आरोपित मंसूरीने अपने विरुद्ध प्रविष्ट प्राथमिकीको निरस्त करनेका अनुरोध किया था ।
      बता दें कि ये प्रकरण प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, गृहमन्त्री अमित शाह सहित अन्य मन्त्रियोंको अपशब्द बोलनेका है । मुमताज मंसूरीने ‘फेसबुक पोस्ट’में प्रधानमन्त्री मोदी, गृहमन्त्री अमित शाह और अन्य केन्द्रीय मन्त्रियोंको ‘कुत्ता’ कहा था । इसके पश्चात २०२० में मंसूरीके विरुद्ध ‘आईपीसी’की धारा ५०४ और ‘आईटी’ अधिनियमकी धारा ६७ के अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया गया ।
      न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमारकी पीठने आवेदन निरस्त करते हुए कहा, “इस देशका संविधान प्रत्येक नागरिकको अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रताका अधिकार देता है; किन्तु इस अधिकारके अन्तर्गत कोई व्यक्ति किसी नागरिकको अपशब्द (गाली) नहीं दे सकता या उसके विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी नहीं कर सकता । प्रधानमन्त्री या अन्य मन्त्रियोंके विरुद्ध भी नहीं ।”
     न्यायालयने न केवल प्राथमिकीको निरस्त करनेसे मना कर दिया; अपितु प्रकरणको लेकर अधिकारियोंको कार्यवाही करनेके लिए भी कहा ।
      न्यायालयका यह निर्णय स्वागतयोग्य है । वैसे भी देशमें अभिव्यक्तिकी स्वतन्त्रताके नामपर हिन्दुओंके देवी-देवताओंके विरुद्ध अनर्गल चलचित्र और टीका टिप्पणी होती रहती है । इस निर्णयसे सभी हिन्दूद्वेषी लोगोंको कठोर सन्देश मिलेगा । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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