फरवरी ९, २०१९
अबू धाबीने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अरबी और अंग्रेजीके पश्चात हिन्दीको न्यायालयोंमें तीसरी आधिकारिक भाषाके रूपमें सम्मिलित कर लिया है । न्यायतक पहुंच बढानेके लिए यह पग उठाया गया है । अबू धाबी न्याय विभागने (एडीजेडी) शनिवार, ९ फरवरीको कहा कि उसने श्रम सम्बन्धित प्रकरणोंमें अरबी और अंग्रेजीके साथ हिन्दी भाषाको सम्मिलित करके न्यायालयोंके समक्ष दावोंके वक्तव्यके लिए भाषाके माध्यमका विस्तार कर दिया है ।
इसका उद्देश्य हिन्दी भाषी लोगोंको अभियोगकी प्रक्रिया, उनके अधिकारों और कत्र्तव्योंके बारेमें सीखनेमें सहायता करना है । आधिकारिक ब्यौरेके अनुसार, संयुक्त अरब अमीरातकी जनसंख्याका लगभग दो तिहाई भाग विदेशोंके प्रवासी लोग हैं । संयुक्त अरब अमीरातमें भारतीय लोगोंकी संख्या २६ लाख है, जो देशकी कुल जनसंख्याका ३० प्रतिशत है और यह देशका सबसे बडा प्रवासी समुदाय है ।
एडीजेडीके अवर सचिव युसूफ सईद अल अब्रीने कहा कि अनुरोधोंके लिए बहुभाषा पारित करनेका उद्देश्य ‘योजना-२०२१’के लिए न्यायिक सेवाओंको बढावा देना और प्रक्रियामें पारदर्शिता बढाना है ।
उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष विश्वभरमें १४ सितंबरको ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जा रहा है । हिन्दी भाषाकी बात ही पृथक है, जिसे न केवल इसे जाननेवाले पसंद करते हैं वरन विदेशी भी इस भाषासे विशेष लगाव रखते हैं । हिन्दी भाषाको ऐसी धुरी माना जाता है, जो भारतको किसी भी देशके साथ सरलतासे जोडनेका कार्य करती है । ये हिन्दी भाषाकी मिठास ही है कि इसे देश ही नहीं वरन विदेशोंमें भी चाहनेवालोंकी न्यूनता नहीं है ।
“हिन्दीकी सरल व वैज्ञानिक पद्धतिकी वर्णमाला, जिसके योग्य व शुद्ध उच्चारण मात्रसे मस्तिष्कको शान्ति मिलती है तो इसकी ओर आकर्षण स्वभाविक है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : टाइम्सनाउ हिन्दी
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