आध्यात्मिक बलका महत्त्व


ram ji durga mata

भगवान श्रीरामने रावणपर विजय पानेसे पूर्व मां दुर्गाकी आराधनाकर, उन्हें प्रसन्नकर, रावण वध हेतु आवश्यक शक्ति मांगी थी । वे तो साक्षात अवतार थे, उन्हें यह करनेकी आवश्यकता नहीं थी; परन्तु अवतारी पुरुष जो भी करते हैं, उसे वे समाजमें आदर्श स्थापित करने हेतु करते हैं । वानर सेनाने रामनामका आधार लेकर सेतु (पुल) निर्माण किया था, अर्जुनने श्रीकृष्णकी शरण लेकर महाभारतका युद्ध किया था । मात्र आजके आन्दोलनकारी बिना आध्यात्मिक सामर्थ्यके सब करना चाहते हैं और परिणामस्वरूप अधिकांश आन्दोलन अपने लक्ष्यतक पहुंचनेसे पूर्व ही ‘प्राण त्याग’ देते हैं या उनका दमन कर दिया जाता है, इससे आध्यात्मिक बलका महत्त्व समझमें आता है ।



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