हिन्दू बहुल राष्ट्रकी विडम्बना !


भारतवर्षके स्वतन्त्र होनेके पश्चात इस देशमें जहां ९०% हिन्दू रहा करते थे, उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना, यह हमारे स्वतन्त्र राष्ट्रके नवनिर्माताओंकी सबसे बडी भूल रही और उसका परिणाम आज सर्वत्र देखा जा सकता है । आज चहुं ओर धर्मग्लानि, व्यभिचार और भ्रष्टाचार व्याप्त है । सनातन धर्मके सिद्धान्तके विषयमें आज अधिकांश हिन्दुओंको अंशमात्र भी जानकारी नहीं है । यहांतक कि हमारी धर्मनिरपेक्ष व्यवस्थामें नैतिक शिक्षाको भी पाठ्यक्रमसे निकाल दिया गया है, जिस कारण आजका युवा वर्ग पाश्चात्यीकरण और आधुनिकरणके अन्धी दौडमें पूर्णत: दिगभ्रमित हो गया है । हिन्दुओंकी स्थिति तो इतनी दयनीय है कि उससे यदि पूछ लें कि आपको हिन्दू होनेपर गर्व क्यों है ?, तो वह उस सन्दर्भमें भी वे पांच मिनिट कुछ भी बता नहीं सकते हैं ! आज एक सर्वसमान्य हिन्दूको न घरमें, न ही विद्यालयमें और न ही महाविद्यालयमें धर्मशिक्षण दिया जाता है । आज अधिकांश हिन्दू, कर्म हिन्दू नहीं; अपितु मात्र जन्म हिन्दू रह गया है । आजके तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग, कर्मसे आसुरी एवं तमोगुणी पाश्चात्य संस्कृतिका अनुकरण करनेमें गर्व अनुभव करता है, यह इस देशकी सबसे बडी विडम्बना है । इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना करना अपरिहार्य हो गया है !- तनुजा ठाकुर



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