भजन नहीं, आजके हिन्दुओंको क्षात्रधर्म साधनाकी है आवश्यकता !


एक शुभचिंतकने मुझसे कहा कि आपकी वाणी अत्यन्त मधुर है; अतः आप अपने प्रवचनोंमें आधे समय भजन करें, इससे आपके प्रवचन अधिक प्रभावी होंगे । मैंने कहा, “जिस प्रकार अति दक्षता कक्षके (ICU) रोगीको प्राणवायु (oxygen) दिया जाता है, उसीप्रकारकी स्थिति आजके हिन्दुओंकी है । उन्हें धर्मको जानकर, धर्माचरण करनेकी आवश्यकता है । भजन वर्तमान कालकी साधना नहीं है; अभी तो नींदका बहाना कर सोए हिन्दुओंको झकझोरकर जगानेकी आवश्यकता है, जो आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरणकी अन्धी दौडमें अपना विवेक खोकर अपने सर्वनाश हेतु अन्धे कुंएमें छलांग लगानेकी तैयारी कर रहे हैंं; अतः अभी वाणी और लेखनीमें मधुरता नहीं, तेजस्विता चाहिए, यह कालकी मांग है ! और मेरा आचरण कालानुसार हो, इस हेतु मैं सदैव महाकालसे प्रार्थना करती  हूं !



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