देखिए पुरुषत्वका कितना ह्रास हुआ है !


हमारी वैदिक संस्कृतिमें पुरुष अपने तपोबलसे सम्पूर्ण ब्रह्मांडपर राज्य करते थे | आज अपने दो बच्चों और पत्नीका संगोपन करनेके लिए सार्वजनिक धनको हडपकर या भ्रष्टाचारकर, (जो एक प्रकारका राष्ट्रद्रोह है) अनेक पुरुष अपनी गृहस्थी चलाते हैं, देखिए पुरुषत्त्वका कितना ह्रास हुआ है ! मेरे पास उपासनाके अध्यात्मिक उपाय केंद्रमें  ऐसे अनेक व्यक्ति आते हैं जिन्हें जीविकोपार्जन सम्बन्धित अडचनें हैं ! अतः पुरुषोंने धर्मका पालन कैसे करें जिससे उनके अन्दर तेजस्विता जागृत हो, इसपर अवश्य विचार करना चाहिए|

और ऐसी स्थितिमें कुछ हिंदुत्त्ववादी नेता कहते हैं कि हिन्दुओंकी जनसंख्या बढाने हेतु अधिक संतानोंको जन्म देना चाहिए ! जो दो सन्तानें होती हैं, उनका लालन-पालन भी धर्म अधिष्ठित रीतिसे कर नहीं पाते हैं, ऐसे लोग बहुत सारे बच्चोंको जन्म देकर तो मात्र इस देशकी जनसंख्याकी समस्याको और विकराल करेंगे, शेष कुछ नहीं ! – तनुजा ठाकुर



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