स्त्रियो ! अपनी सुरक्षा करने हेतु स्वयंसिद्ध हों !


वह काल भिन्न था, जब अपनी पत्नीके हरणका दण्ड देनेके लिए भगवान श्रीरामने समुद्रपर वानरोंद्वारा पुल बनवाकर रावणका विनाश किया । आजके अधिकांश पुरुष ऐसे समाचारोंको चायकी चुस्कियोंके साथ पढकर, सुनकर, देखकर मात्र शब्द रूपी दिखावटी आक्रोश प्रकट कर सकते हैं ! अपने रक्षण हेतु प्रशिक्षण लें और अपनी साधना बढाएं ! ध्यान रहे, आप अबला नहीं, साक्षात दुर्गा हैं और दुर्गा असुरोंका संहार करती हैं ! अपने अन्दर विद्यमान शक्तिको पहचानें ! आपका तेजस्वी एवं संस्कारित चरित्र, सम्पूर्ण ब्रह्माण्डके असुरोंसे आपका रक्षण करनेका सामर्थ्य रखता है । – तनुजा ठाकुर



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