पूर्व कालके राज्यकर्ता संतोंके मार्गदर्शनमें राज्यका कार्यभारका संचालन करते थे । आजके राज्यकर्ता संतोंके विरुद्ध षड्यंत्र रचकर, उन्हें निरपराध ही कारागृहमें डालकर राज्य करते हैं ! पूर्वकालमें राज्यकर्ता संतोंकों आश्रम बनाने हेतु भूमि एवं आश्रमके संगोपन हेतु धन एवं गायें दान करते थे, आजके राज्यकर्ता आश्रमको सील कर उसके भवनपर बुलडोजेर चलानेमें गर्व अनुभव करते हैं। गौका दान तो नहीं करते, गौकी हत्या कर उसका मांसका निर्यात कर राज्य करते हैं ! अब समझमें आया इस कालको कलियुग क्यों कहते हैं ? -तनुजा ठाकुर
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