शिवसेनाका शासनपर वार, बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिन्दुओंको भी नमाज पढनी पडती !


जनवरी १८, २०१९

शिवसेनाने शिवाजी स्मारकके निर्माणको लेकर शुक्रवार, १८ जनवरीको भाजपाके नेतृत्ववाले महाराष्ट्र शासनपर लक्ष्य साधा और उसने पूछा कि वह उच्चतम न्यायालयके समक्ष इस मुद्देपर अपना पक्ष रखनेमें असफल क्यों रहा ? शिवसेनाने कहा कि यह इस तथ्यके पश्चात हुआ कि शासन ‘मतदानमें विजयके लिए क्रय-विक्रय करने’ जैसे अन्य मुद्दोंपर कभी असफल नहीं होता ! पार्टीने कहा है, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं कि छत्रपति शिवाजी और बालासाहेब ठाकरेके स्मारकका क्या प्रयोग है ? छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं होते तो पाकिस्तानकी सीमा तुम्हारी सीमातक आ गई होती और बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिन्दुओंको भी नमाज पढनी पडती !’’

पार्टीने कहा कि उच्चतम न्यायालयने एक बार पुनः शिवाजी स्मारकका निर्माण रोक दिया है । यह बार-बार हो रहा है, जिससे यह प्रश्न खडा हो गया है कि क्या शासन स्मारक बनानेको लेकर गम्भीर है ? महाराष्ट्र और केन्द्रमें भाजपाके नेतृत्वके शासनके सहयोगी दलने कहा कि गुजरातमें नर्मदा नदीके किनारे बिना किसी पर्यावरणीय या तकनीकी मुद्देके सरदार वल्लभभाई पटेलकी प्रतिमाका सफलतापूर्वक निर्माण किया गया ।

शिवसेनाने कहा कि शासनने सामान्य वर्गके आर्थिक रूपसे दुर्बल वर्गोंको १० प्रतिशत आरक्षण देनेके लिए संविधानमें संशोधन किया और इसीप्रकार तीन तलाकका मुद्दा हल किया, जबकि अयोध्यामें राम मंदिर और मुम्बईमें शिवाजी स्मारकके निर्माणका मुद्दा अब भी उलझा हुआ है ।

पार्टीके मुखपत्र ‘सामना’में एक सम्पादकीयमें प्रश्न किया गया है, ‘‘क्या न्यायालय स्मारकके निर्माणके मध्य आ रहा है या यह कोई और है जो नहीं चाहता कि यह बने तथा वह न्यायपालिकाको ढालके रूपमें प्रयोग कर रहा है ?’’ शिवसेनाने कहा कि यह परियोजना ३६०० कोटि रुपयेकी है; परन्तु शासन आरम्भसे ही इसे लेकर गम्भीर नहीं थी । उसने न्यायालयमें शिवाजी स्मारकके निर्माणका मुद्दा अटकानेको लज्जाजनक बताया ।

 

“महाराजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके मार्गपर चलनेवाले बाला साहब ठाकरे, जिनका नाम ही हिन्दुओंमें प्राण फूंकनेके लिए पर्याप्त है, उनकी प्रतिमा बनवाना एक अच्छा कार्य हो सकता है; परन्तु आवश्यक नहीं ! आज हिन्दू धर्म अतिदक्षता विभागमें (आइसीयूमें) है ! न ही हिन्दुओंके बालकोंमें शिवाजीके अल्पमात्र भी संस्कार है । प्रतिमा यदि बन भी जाती है तो धर्महीन हिन्दू केवल भ्रमण स्थलकी भांति देखकर आ जाएंगें; परन्तु इससे शिवाजी महाराजका हिन्दवी राज्य आ पाएगा ? हिन्दुओंके प्रत्येक घरमें आज शिवाजी महाराजके संस्कारोंको रोपनेकी आवश्यकता है, जिससे कि प्रत्येक घरसे जीवन्त शिवाजी बाहर आए, जो ‘आइसीयू’में पडे हिन्दू धर्ममें प्राण फूंक, इसे पुनः विश्वगुरु बना पाएं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : जी न्यूज



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