जगन्नाथ मन्दिरके रत्न भण्डारकी चाभीके खोनेपर मुख्यमन्त्रीने दिए न्यायिक जांच के आदेश


भुवनेश्वर: ओडिशाके मुख्यमन्त्री नवीन पटनायकने १२ वीं शताब्दीके प्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिरके कोषागारकी चाबियां खोनेके प्रकरणकी न्यायिक जांचका सोमवारको आदेश दिया । कानून मन्त्री प्रताप जेना और श्री जगन्नाथ मन्दिर प्रशासनके प्रमुख पी के जेनाके साथ विचार विमर्शके बाद पटनायकने कहा कि एक न्यायिक आयोगको इस प्रकरणकी जांचका उत्तरदायित्व सौंपा जाएगा !

मुख्यमन्त्री कार्यालयद्वारा एक वक्तव्यमें यह जानकारी दी गई है, इसमें कहा गया है कि ओडिशा उच्च न्यायालयके एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीशद्वारा इस प्रकरणकी जांच करायी जाएगी और इस पर विशेष रूपसे ध्यान किया जाएगा कि रत्न भण्डारकी (कोषागार) चाबियां किस परिस्थितिमें खो गईं ।  वक्तव्य अनुसार इस वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा १४ जुलाईको है और एक सदस्यीय जांच आयोग अपना विवरण यात्राके बाद सौंपेगा ।

बता दें श्री जगन्नाथ मन्दिर प्रबन्धन समितिके सदस्य रामचन्द्र दास महापात्राने बताया कि समितिकी चार अप्रैलको हुई बैठक में यह बात बताई गई थी कि रत्न भण्डा के आन्तरिक कक्षकी चाभी खो गई है । ओडिशा उच्च न्यायालयके आदेशके बाद ‘रत्न भण्डार’ कक्षमें चार अप्रैलको सुरक्षाके बीच १६ सदस्यों वाले एक दलने ३४ वर्षके बाद यहां जांचके लिए प्रवेश किया था ।

श्री जगन्नाथ मन्दिर प्रबन्धन समितिके सदस्य रामचन्द्र दास महापात्राने बताया कि समितिकी चार अप्रैलको हुई बैठक में यह बात बताई गई थी कि रत्न भण्डारके आंतरिक कक्षकी चाभी खो गई है । ओडिशा उच्च न्यायालयके आदेशके बाद ‘रत्न भंडार’ कक्षमें चार अप्रैलको सुरक्षाके मध्य १६ सदस्यों वाले दलने ३४ वर्षके बाद यहां जांचके लिए प्रवेश किया था ।
श्री जगन्नाथ मन्दिर प्रबन्धनके एक अधिकारीने बताया कि जांच दलके सदस्योंको आन्तरिक कक्षमें प्रवेश करनेकी आवश्यकता नहीं थी; क्योंकि यह बाहरसे एक लोहेकी ग्रीलके माध्यमसे दिखता है । दास महापात्रने बताया कि न तो मन्दिर प्रशासन और न ही पुरी जिला कोषागारके पास आन्तरिक कक्षकी चाभी है । इस बातका पता दो महीने बाद चला है ।

शंकराचार्य और बीजेपीने की सरकारकी आलोचना
पुरीके शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीने रविवारको इस घटनाके लिए ओडिशा सरकारकी आलोचना की । वहीं भाजपाने मुख्यमन्त्री नवीन पटनायकसे इस घटनापर स्पष्टीकरण देनेकी मांग की है । शंकराचार्यने कहा कि यह घटना बताती है कि राज्य सरकार और मन्दिर प्रशासन अपने कर्तव्योंको पूर्ण करनेमें असमर्थ है ।

राज्यमें भाजपाके प्रवक्ता पीताम्बर आचार्यने कहा, ‘मुख्यमन्त्रीको इसके लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए कि चाभी कैसे खो गई और इसके लिए कौन उत्तरदायी है ?’ ओडिशा उच्च न्यायालय २०१६ से मन्दिरमें एएसआईद्वारा हो रहे पुनरुद्धार कार्यपर देखरेख कर रहा है ।



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