बनारसकी भांति संस्कृतका केन्द्र बनेगा बसोहली, उपराज्यपाल मनोज सिन्हाने किया चूडामणि संस्कृत संस्थानका शिलान्यास


२१ अगस्त, २०२१
      जम्मू-कश्मीर प्रशासन संस्कृत भाषाको प्रोत्साहन देनेके लिए यथासम्भव प्रयास कर रहा है । इसी शृङ्खलामें उपराज्यपाल मनोज सिन्हाने गुरुवार, १९ अगस्तको कठुआ जनपदके बसोहलीमें चूडामणि संस्कृत संस्थानके नूतन भवनका शिलान्यास किया ।
      मनोज सिन्हाने कहा कि ५ आधिकारिक भाषाओंके साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन नई शिक्षा नीतिकी संस्तुतियोंके (सिफारिशोंके) अनुसार संस्कृत भाषाको प्रोत्साहन देनेका प्रयास कर रहा है । उन्होंने कहा, “संस्कृत भाषाके वर्चस्वको पुनर्जीवित करना प्रत्येक भारतीयका सामूहिक उत्तरदायित्व है । हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपनी सभ्यता, मूल्योंको संरक्षित और प्रोत्साहित करनेके लिए अवसर उत्पन्न करें ।”
      उन्होंने आगे कहा, “चूडामणि संस्कृत संस्थानके नूतन भवनका शिलान्यास एक ऐतिहासिक क्षण है । संस्थानकी स्थापना दिवङ्गत पण्डित उत्तम चंद पाठक शास्त्रीने की थी । उन्होंने इस विद्यालयके माध्यमसे संस्कृत भाषा, सांस्कृतिक और विरासत मूल्योंको प्रोत्साहन देनेके लिए अद्भुत और महान कार्य किया था । संस्कृत हमारे देशकी एकमात्र ऐसी भाषा रही है, जिसने न केवल विभिन्न क्षेत्रोंको एकजुट किया है; अपितु शिक्षकों और उनके शिष्योंके मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध भी बनाए हैं ।”
      जम्मू-कश्मीरमें परिवर्तनका समय अब आरम्भ हो चुका है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, चूडामणि संस्कृत संस्थानका शिलान्यास ! संस्कृत देव भाषा है और जम्मू-कश्मीरको इस धरापर स्वर्गकी उपमा दी गई है । ऐसेमें केन्द्र शासनका यह निर्णय प्रसंशा करने योग्य है । अभी तो मात्र संस्कृतको शिक्षा नीतिमें स्थान दिया गया  है । हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाके पश्चात देव भाषा संस्कृत भारतकी मुख्य भाषा होगी, साथ ही इसे समूचे विश्वकी प्रथम भाषा बनानेपर भी विशेष बल दिया जाएगा । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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