जनवरी ८, २०१९
बिहारकी संस्कृतिकी धमक अब विश्व भरमें सुनाई देने लगी है । जापान और कनाडा जैसे देश मिथिला चित्रकारीसे अभिभूत हैं और उन्होंने इसकी मांग भी कर दी है । जापानको यह इतनी पसंद आ गई है कि उसने चित्रकारोंके एक दलकी मांग की है । जापानकी ओरसे भारतको इसके लिए अनुरोध पत्र भेजा गया है ।
केन्द्रीय रेल मन्त्री पीयूष गोयलने इस बारेमें ट्वीटकर जानकारी देते हुए लिखा कि भारतकी मिथिला चित्रकारी जब रेलपर उकेरी गई तो इसने देशके साथ विदेशियोंको भी अपनी सुंदरतासे प्रभावित किया । उन्होंने बताया कि जापानने मिथिला चित्रकारीकी सुन्दरताको देखकर इस कलाके चित्रकारोंका दल भेजनेका अनुरोध किया है ।
जापानके पश्चात अब कनाडाने भी मिथिला चित्रकारीके चित्रकारोंके एक दलकी मांग की है, ताकि वहांकी रेलोंपर भी मिथिला चित्रकारी उकेरी जा सके ।
मिथिला चित्रकारी न केवल पर्यटकों व यात्रियोंको आकर्षित करती है, वरन इसे देखनेके पश्चात एक सकारात्मक विचार मनमें उत्पन्न होता है । जब भी व्यक्ति तनावमें रहता है तो सकारात्मक चित्र या अच्छे वातावरणमें रहनेसे वह अल्प होता है ।
भारतमें कई रेलयानोंपर पहले ही मिथिला चित्रकारी उकेरी जा चुकी है और वो लोगोंको पसंद भी आ रही है । संयुक्त राष्ट्र संघ भी मिथिला चित्रकारी करनेवाले रेलोंकी प्रशंसा कर चुका है । भारतीय रेलवेने कहा है कि जापान और कनाडा भेजनेके लिए मिथिला चित्रकारीके कलाकारोंका चयन किया जा रहा है और शीघ्र ही दल तैयारकर उन देशोंमें भेजा जाएगा । मिथिला चित्रकारीको मधुबनी चित्रकारी भी कहते हैं ।
“धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओंको कहीं इसपर भी उद्विग्नता हो कि चित्रकारीपर चांद सितारेंक्यों नहीं लगाए ! यह तो विरासतकी महानताकी बात है, जो सनातनकी प्रत्येक धरोहरमें वास करती है । इनमेंसे एक है मिथिला चित्रकारी, जिसमें सीता मैयाके बालपन, विवाह आदि सम्मेत जीवनके दृश्योंका सुन्दर वर्णन होता है, जो स्वतः ही किसीको भी आकर्षित करती है । नमन है ऐसी महान विरासतके निर्माता हमारे पूर्वजोंको जिनकी उत्पत्ति किसीको भी बिना बलप्रयोग नतमस्तक करनेका बल रखती है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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