जो कर्मठ होते हैं उनका सर्वत्र सम्मान होता है और जो देहचोर (आलसी) होते हैं वे कभी किसीके प्रिय नहीं बनते ! आजकी पीढीमें आलस्य रुपी दोष बहुत अधिक है इसलिए वे ऐसे स्थानपर जब भी जाते हैं जहां उन्हें थोडा अधिक श्रम करना पडे तो उनकी सबसे अनबन हो जाती है । आज अधिकांश सामाजिक प्रतिष्ठानमें या आश्रमोंमें इस दुर्गुणके कारण मानसिक तनावका वातावरण निर्माण होता है । वस्तुत: कर्मठ व्यक्तिका भाल सदैव चमकता है और आलसी व्यक्तिका भाल निस्तेज रहता है ।
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