आंध्र विश्वविद्यालयके कुलपतिने किया दावा, परखनलीसे (टेस्ट ट्यूब) जन्मे बालक थें कौरव !


जनवरी ५, २०१९

आंध्र विश्वविद्यालयके उपकुलपति जी नागेश्वर रावने शुक्रवार, ५ जनवरीको भारतीय विज्ञान कांग्रेसमें दावा किया कि कौरवोंका जन्म मूल कोशिका (स्टेम सेल) और परखनली (टेस्ट ट्यूब) विज्ञानसे हुआ था और भारतने सहस्रों वर्षों पूर्व ही इस ज्ञानको प्राप्त कर लिया था ।
रावने एक प्रतिपादनमें (प्रेजेंटेशनमें) कहा कि भगवान रामने अस्त्रों और शस्त्रोंका प्रयोग किया, जो लक्ष्योंका पीछा करते थे और उसे भेदनेके बाद वापस आते थे ।

उपकुलपतिने कहा कि इससे ज्ञात हुआ है कि मिसाइलोंका विज्ञान भारतके लिए नूतन नहीं है और यह सहस्रों वर्ष पूर्व भी उपस्थित था ।

रावके अनुसार, रामायणमें कहा गया है कि रावणके पास केवल पुष्पक विमान ही नहीं, वरन भिन्न-भिन्न आकार और भिन्न-भिन्न क्षमताओंके २४ प्रकारके विमान थे । रावणके श्रीलंकामें कई हवाई तल थे और वह कई उद्देश्योंके लिए इन विमानोंका प्रयोग करता था ।

उन्होंने कहा, “प्रत्येक कोई अचम्भित होता है और किसीको भी विश्वास नहीं होता कि गांधारीने कैसे १०० बच्चोंको जन्म दे दिया ! मनुष्यके रूपमें यह कैसे सम्भव है ? क्या कोई महिला एक जीवनमें १०० बच्चोंको जन्म दे सकती है ?”
उन्होंने आगे कहा, “परन्तु अब हम मानते हैं, हमारे परखनलीसे (टेस्ट ट्यूबसे) बच्चे होते हैं । एक बार पुनः महाभारतमें कहा गया कि १०० अण्डोंको निषेचित किया गया और १०० घडोंमें रखा गया । क्या वे परखनली (टेस्ट ट्यूब) शिशु नहीं थे ? इस देशमें मूल कोशिका (स्टेम सेल) शोध सहस्रों वर्ष पूर्व हो गया था । आज हम मूल कोशिका (स्टेम सेल) शोधकी बात करते हैं ।”

रावने कहा, “मूल कोशिका (स्टेम सेल) शोध और परखनली (टेस्ट ट्यूब) तकनीकके कारण एक मांसे सैकडों कौरव हुए थे । यह कुछ सहस्रों वर्ष पूर्व हुआ । यह इस देशमें विज्ञान था ।”

 

“इससे ही सनातन धर्मके विज्ञान व महानताका बोध होता है, परन्तु दुखद है कि अंग्रेजों व मुगलोनके कारण आज भारत वह अपनी बहुमूल्य सम्पदाको भूल बैठा है; अतः हमें शास्त्रोंकी ओर लौटकर शोध करनेकी आवश्यकता है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : आजतक



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