कुत्ते-बिल्ली जैसे पशुओंको घरमें अपने साथ कक्षमें रखनेसे वास्तुमें अशुद्धि कैसे फैलती है ? (भाग – १)


घरमें यदि अतिरिक्त कक्ष या स्थान न हो तो कुत्ते-बिल्ली जैसे पशुको अपने घरमें न रखें और यदि रखते हैं तो उसे घरमें प्रवेश न दें, इससे घरमें अपवित्रता निर्माण होकर वास्तुदोष लगता है, इसपर ‘फेसबुक’पर श्री प्रशान्त वर्माने एक प्रश्न पूछा है कि भगवानके लिए सभी प्राणी समान होते है तो कुत्ता-बिल्ली जैसे पालतू पशुके घरके भीतर रहनेसे घर अपवित्र कैसे हो सकता है, यदि ऐसा है तो यह नियम मनुष्योंपर भी लागू होना चाहिए ?  

आज कुत्ते-बिल्लीको अपने दो कक्षके घरमें रखनेका पाश्चत्य प्रचलन अत्यधिक हो गया है और अब तो यह सामाजिक प्रतिष्ठाका भी विषय बनता जा रहा है, लोग अपने घर १० लाख या उससे भी अधिक मूल्यके कुत्ते या बिल्ली जैसे पशु रखते हैं और यदि उनके विषयमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण दिया जाए तो वे भावुक हो जाते हैं और उन्हें बहुत अधिक बुरा लगता है; इसलिए इस विषयमें विस्तार पूर्वक विवेचन कुछ भागोंमें दे रही हूं, इस दृष्टिकोणके पीछे यह कारण नहीं है कि मुझे पशुसे प्रेम नहीं है, जब तक मैं विद्यालयमें थी, मेरे घरके लगे शाक वाटिकामें (बाग, बगीचा) पूरे कॉलोनीके कुत्ते आते थे और वे वहीं बच्चे भी देते थे और हम उन ढेर सारे कुत्ते और उसके बच्चोंकी देखभाल बहुत प्रेमसे करते थे ।
   कुत्तेकी सूक्ष्म इन्द्रियां जागृत होती है; इसलिए पिछले २१ वर्षसे भारत एवं विश्वके अनेक देशोंमें धर्मप्रसारके समय लोगोंके घरोंपर रहना हुआ है और कभी भी किसीके घरके पालतू कुत्तेने मुझपर भौंका भी नहीं चाहे मैं उनके घरपर पहली बार ही क्यों नहीं गई हूं; क्योंकि पशु भी आपके मनमें उनके लिए कैसे भाव है, वह पढ लेते हैं; इसलिए यह न समझें कि मुझे पशुसे प्रेम नहीं; इसलिए ऐसा लिख रही हूं; किन्तु धर्मकी दृष्टिसे उचित और अनुचितको समाजको सिखाना मेरा धर्म है और इसे आप सभीको समझना भी अति आवश्यक है । बाल्यकालसे ही हमारे घरमें गाय हुआ करती थी तो जब उसके नवजात शिशु होते थे तो पिताजी उसे ठण्डीके ऋतुमें घरमें ले आते थे; किन्तु जब हम किसी कुतियाके नवजात बच्चेको अपने घरमें लाना चाहते थे तो वे उनके लिए बाहर ही सब व्यवस्था कर देते थे और घरमें नहीं लाने देते थे तो मेरे मनमें भी यह प्रश्न निर्माण होता था कि वे पशुके साथ ऐसा भेदभाव क्यों करते हैं ?, एक दिवस मैंने अपने पिताजीसे अपनी शंका व्यक्त की । उन्होंने कहा “गाय सात्त्विक पशु और कुत्ते-बिल्ली तामसिक पशु हैं ।” इस लेखका अगला भाग कल प्रेषित करेंगे । (क्रमश:)



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