जब स्वामी रामकृष्ण परमहंसके गुरु तोतापुरी महाराजने कहा ” मैं तुम्हारा गुरु हूंं “। स्वामी रामकृष्णने कहा “मुझे गुरु नहीं चाहिए , मेरे पास काली मांं है मैं उनसे जब चाहे बात कर सकता हूंं”। सद्गुरुने कहा ” तुम्हें अभी तक लगता है कि तुम और काली भिन्न हो ,
मैं तुम्हें यह बताने आया हूँ कि तुम ही काली हो “।
गुरुका मुख्य हेतु शिष्य को द्वैतसे अद्वैतकी ओर ले जाना होता है । श्री गुरवे नमः ।
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