जितनी तडप जल के अंदर सांस लेने की होती है जब उतनी ही तड़प ईश्वरप्राप्ति की होती है तभी उच्च कोटी के संत का हमारे जीवन में सद्गुरु के रूप में प्रवेश होता है। जिज्ञासा, मुमुक्ष्त्व, आज्ञापालन, नम्रता, त्याग की प्रवृत्ति, परोपकारिता, सर्व जीव मात्र की उत्थान के भावना, साधना में सातत्य ये दिव्य गुण से हम गुरु तत्त्व को अपनी ओर आकृष्ट कर सकते हैं ! आपके जीवन के कष्ट आपके द्वारा इस जन्म या पिछले में किए गए अधर्म के कारण है, उसे दूर करने के लिए सद्गुरु आपके जीवन में क्यों प्रवेश करेंगे ? सद्गुरु का आगमन हो इस हेतु अपने अंदर साधकत्व को बढ़ाएँ ! मैं समाज, राष्ट्र और धर्म के लिए क्या कर सकता हूँ इस बारे में अखंडता से विचार कर योग्य कृति करें ! सद्गुरुका प्रवेश स्वतः ही हो जाएगा | ध्यान रहे शिष्य के गुणों वाला साधक जीव इस जगत की सबसे दुर्लभ प्रजाति है !!!-तनुजा ठाकुर
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