पांच बार ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता मिसी बोलीं, हिन्दू ग्रन्थोंसे मिलती है मानसिक शान्ति !!


फरवरी १८, २०१९


लन्दन ओलम्पिकमें पांच स्वर्ण पदक जीतनेवाली तैराक मिसी फ्रेंकलिनको हिन्दू ग्रन्थोंको पढनेसे मानसिक शान्ति मिलती है । अमेरिकाकी २३ वर्षीय तैराकने गत वर्ष दिसम्बरमें संन्यासकी घोषणाकर सबको अचम्भित कर दिया था । कंधेकी वेदनासे उद्विग्न इस तैराकने संन्यासके पश्चात मनोरंजनके लिए योग करना आरम्भ कर दिया ।

हिन्दू धर्मके बारेमें जाननेके पश्चात उनका झुकाव आध्यात्मकी ओर हुआ । वह जार्जिया विश्वविद्यालयमें धर्ममें शिक्षा अर्जित कर रही हैं । फ्रेंकलिनने लॉरेस विश्व खेल पुरस्कारसे इतर कहा कि मैं गत एक वर्षसे धर्मकी शिक्षा अर्जित कर रही हूं । यह आकर्षक और आंखें खोलनेवाला है । मुझे विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और उनकी धार्मिक मान्यताओंके बारेमें पढना पसंद है । मेरा अपना धर्म ईसाई है; परन्तु मेरी रूचि हिन्दू धर्ममें अधिक है ।

यह ऐसा धर्म हैं, जिसके बारेमें मुझे अधिक नहीं ज्ञात था; परन्तु पढनेके पश्चात लगा कि यह उत्तम हैं । फ्रेंकलिन हिन्दू धर्मके बारेमें काफी कुछ जानती हैं । वह रामायण और महाभारतकी ओर आकर्षित हैं और अपरिचित नामोंके पश्चात भी दोनों महाग्रन्थोंको पढ रही हैं ।

उन्होंने कहा कि मुझे उसके मिथक और कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं । उनके भगवानके बारेमें जानना भी शानदार है । महाभारत और रामायण पढनेका अनुभव कमालका है । महाभारतमें परिवारोंके नामसे मैं भ्रमित हो जाती हूं; परन्तु रामायणमें राम और सीताके बारेमें पढना मुझे स्मरण है ।

 

“धर्मको झगडेका और आतंकका मूल बतानेवाले मूढ हिन्दुओंको इससे बोध लेना चाहिए । वास्तवमें धर्म आत्माको शान्तिकी राह दिखाता है; परन्तु कट्टरता और धर्मान्धता विश्वमें आतंक प्रसारित कर रही है और अब लोगोंको बुद्धि व विकवेकका प्रयोगकर वास्तविक धर्मका संज्ञान करना चाहिए और उसकी ओर मुडना चाहिए !” सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : अमर उजाला



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