मूर्ति विज्ञानके संदर्भमें धर्मशिक्षण देना आवश्यक !
कल समाचारमें देख रही थी, जिसमें समाचार सूत्र बडे गर्वसे बता रहे थे कि एक चिकित्सकने सूखे मेवेसे गणेशजीकी आकृति बनाई और उसे पूजा हेतु चिकित्सालय ले गए हैं । अर्थात मैकाले शिक्षण प्रणालीसे कोई व्यक्ति उच्च शिक्षित हो तो उसे धर्मका ज्ञान होगा या उसका विवेक जाग्रत होगा यह आवश्यक नहीं है ।
मूर्ति विज्ञान एक शास्त्र है एवं हम अपनी क्षुद्र बुद्धिके अनुसार देवी-देवताकी विचित्र आकारमें, भिन्न वस्तुओंसे, विचित्र रूपमें मूर्तियां नहीं बना सकते हैं, जिन्हें यह बात पता नहीं है उनका विवेक जाग्रत है, यह तो कभी नहीं कहा जा सकता है ! हिन्दुओंसे ऐसी अक्षम्य चूकें न हो इसलिए सभीको धर्मशिक्षण देनेकी आज नितान्त आवश्यकता है !
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