१२% जनसंख्यावालोंकी ‘जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क’में घुसपैठकर मुसलमानोंने वनमें बना डाली अनेक ‘मजारें’


०९ अगस्त, २०२२
      उत्तराखंडके देहरादून क्षेत्रमें अवैध ‘मजारों’के बनाए जानेका प्रकरण उजागर हुआ है । पत्रकारोंके एक समूहने वनमार्गसे यात्रा करते हुए अनेक ‘मजारें’ बनी हुई पाईं । इसी प्रदेशके रामनगरके वन्य क्षेत्रमें ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ सबसे चर्चित स्थान माना जाता है, जहां लाखोंकी संख्यामें पर्यटक आते हैं और वहीं रामनगर-रानीखेत मार्गपर ‘पक्की मजार’ पाई गई है ।  इस क्षेत्रमें वन्य पशुओंसे सावधानीके फलक लगे हुए दिखाई देते हैं । वनके मध्य जाते हुए मार्गपर लगभग ५ किलोमीटर आगे जानेके पश्चात, मार्गसे सटी हुई एक बडीसी ‘मजार’ बनी हुई है, जिसे एक घरके आकारमें बना दिया गया है । वहांपर वन विभागका कोई संरक्षक भी नहीं दिखाई देता है ।
         इस ‘मजार’पर सबसे ऊपर ७८६ लिखा है और नीचे ‘भूरे शाह शेर अली जुल्फकार दादमियांका उर्स’ लिखा है । समुदायके लोगोंको उसमें जुडनेके लिए प्रार्थना लिखी गई है ।
         झिरनाके प्रतिबन्धित क्षेत्रमें ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’के भीतर बाघ, तेंदुए, हाथी, हिरन जैसे अनेक अन्य जीव अच्छी संख्यामें पाए जाते हैं । इसके भीतर रहनेकी अनुमति नहीं है । किसीको भी वहां रहनेकी अनुमति नहीं है । एक किलोमीटरकी दूरीपर एक और ‘मजार’, मार्गसे सटाकर बनाई गई है । इस ‘मजार’पर रंग भी  किया गया है और ‘चादर’ भी चढाई जाती है । यह भी क्रूर बाघोंका क्षेत्र माना जाता है ।
        घने जंगलके मध्य केवल वन विभागवालोंकी ‘चौकियों’के ‘टॉवर’ ही दिखाई देते हैं और तेंदुए विचरते हुए दिखाई देते हैं । मुसलमान ‘जीप-वाहन’ चालक इस ‘मजार’के विषयमें कुछ नहीं बता पाते हैं ।
      १२% मुस्लिम समुदायके लोगोंने वहां अच्छा व्यवसाय ‘जमा’ लिया है । ‘जंगल सफारी’ करवानेके लिए अधिकतर वाहन मुसलमान समुदायके लोगोंके हैं ।
      जिस क्षेत्रमें मनुष्योंके लिए प्रवेश भी वर्जित है, वहींपर मुसलमानोंद्वारा बनाई गई ‘पक्की मजार’ भी यह प्रमाणित करती है कि वन विभागको भी जिहादी संगठनोंने अपने नियन्त्रणमें ले रखा है । केन्द्र शासनको त्वरित इसपर कार्यवाही करनी चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 


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