प्रेरक प्रसंग – नामजपका परिणाम


MalaJap

अखंड नामजपसे ईश्वरीय कृपाका संचार होता है | भक्त वह है जो एक क्षणके लिए ईश्वरीय अनुसंधानसे विभक्त नहीं होता ऐसे भक्तका प्रत्येक कर्म, यज्ञकर्म हो जाता है और उसे उसका लाभ मिलता है | सांसरिक होते  हुए भी नामसंकीर्तनयोग माध्यमसे हम साधनामें अखंडता साध्य कर सकते हैं | इसका एक उदाहरण एक प्रेरक प्रसंगके माध्यमसे बताती हूं |

एक गांवमें एक वृद्ध स्त्री रहती थीं | उनका कोई नहीं था और वे गोबरकी उपलें बनाकर बेचती थीं और उसीसे अपना जीवनयापन करती थीं | वह स्त्री कृष्ण भक्त थीं, उठते-बैठते नामजप किया करती थीं यहां तक कि उपले बनाते समय भी | उस गांवके कुछ दुष्ट लोग उनकी भक्तिका उपहास करते और एक दिन तो कुछ दुष्टोंने रात्रिमें उस वृद्ध स्त्रीके सारी उपलें चुरा लिए और आपसमें कहने लगे कि अब देखें कृष्ण कैसे इनकी सहयता करते हैं ! सुबह जब वह उठीं तो देखती हैं कि सारी उपलें किसीने चुरा ली है | वे मन ही मन हंसने लगी और अपने कान्हाको कहने लगीं , “ पहले माखन चुराता था और मटकी फोड गोपियोंको सताता था और इस बुढ़ियाकी उपले छुपा मुझे सताता है, ठीक है जैसी तेरी इच्छा” यह कह उन्होंने अगले दिनके लिए उपलें बनाने आरंभ कर दिये | दोपहर हो चला तो भूख लग गयी परंतु घरमें कुछ खानेको नहीं था, दो गुडकी डली थी, एक अपने मुहमें डाल पानीके कुछ घूंट पीकर लेटने चली गयी | भगवान तो भक्त वत्सल होते हैं अतः अपने भक्तको कष्ट होता देख वे विचलित हो जाते हैं, उनसे उस वृद्ध साधिकाके कष्ट देखे नहीं गए | उन्होंने सोचा उसकी सहायता करनेसे पहले उसकी एक और अंतिम परीक्षा ले लेता हूं अतः वे एक साधुका वेश धरण कर उसके घर पहुंच कुछ खानेको मांगने लगे, वृद्ध स्त्रीको अपने घर आए एक साधुको देख आनंद तो हुआ; परंतु घरमें कुछ उन्हें खानेके देनेके लिए न था यह सोच दुख भी हुआ, उसने गुडकी इकलौती डली बाबाको शीतल जलके साथ खानेको दे दी | बाबाका रूप धारण किए मुरलीधर कृष्ण उस स्त्रीके त्यागको देख प्रसन्न हो गए और जब वृद्ध स्त्रीने अपने सारे वृतांत सुनाये तो बाबा उन्हें सहायताका आशवासन दे चले गए और गांवके सरपंचके यहां पहुंचे | उन्होंने सरपंचसे कहा , “सुना है इस गांवके बाहर जो वृद्ध स्त्री रहती है उसके उपलें किसीने चुरा ली है, मेरे पास एक सिद्धि है, यदि गांवके सभी लोग अपनी-अपनी उपलें ले आयें तो मैं अपनी सिद्धिके बलपर उस वृद्ध स्त्रीके सारे उपले अलग कर दुंगा” | सरपंच एक भला एवं धार्मिक व्यक्ति था, उसे भी वृद्ध स्त्रीके उपलें चोरी होनेका दुख था अतः उन्होंने साधु बाबा रूपी कृष्णकी बात तुरंत मान ली और गांवमें ढिंढोरा पिटवा दिया कि सब अपने घरके सारी उपलें तुरंत गांवकी चौपालपर लाकर रखें | जिन दुष्ट लोगोंने चोरी की थी, वे भी वृद्ध स्त्रीके उपलें अपने उपलोंमें मिलाकर उस ढेरमें एकत्रित कर दिये | उन्हें लगा कि सबकी उपलें तो एक जैसी होती हैं अतः साधु बाबा कैसे पहचान पाएंगे | दुर्जनोंको ईश्वरकी लीला और शक्ति दोनोंपर ही विश्वास नहीं होता | साधु वेशधारी कृष्णने सब उपलोंको कान लगाकर वृद्ध स्त्रीकी उपलें अलग कर दी | वृद्ध स्त्री अपनी उपलोंको तुरंत पहचान गयी और उनकी प्रसन्नताका तो ठिकाना ही नहीं था, वे उपलें उठा, साधू बाबाको नमस्कार कर चली गयी | जिन दुष्टोंने वृद्ध स्त्रीकी उपलें चुराई थीं उन्हें यह समझमें नहीं आया कि बाबाने कान लगाकर उन उपलोंको कैसे पहचाना, अतः जब बाबा गांवसे कुछ दूर निकल आए तो वे दुष्ट बाबासे इसका कारण जानना उनके पीछे चल पडे | जब एकांत श्तान आया तो उन्होंने अपनी शंका व्यक्त की | बाबाने सरलतासे कहा कि वृद्ध स्त्री सतत ईश्वरका नाम जप करती है और उसके नाममें इतनी आर्तता थी कि वह उपलोंमें भी चली गयी थी, कान लगाकर वे यह सुन रहे थे कि किन उपलोंसे कृष्णका नाम निकलता है और जिनसे कृष्णका नाम निकल रहा था उन्होंने उन्हें अलग कर दी” !

यह है नामजपका परिणाम अतः हमने व्यवहारके प्रत्येक कृति करते समय नामजप करना चाहिए इससे हमपर ईश्वरकी कृपाका सातत्यसे वर्षाव होता है !

 

 



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