भारत प्रशासित कश्मीर के उत्तरी हिस्से लद्दाख में इन दिनों एक अजीब-सा विषय चिंता का सबब बना हुआ है. वहां रह रहे बौद्धों के बीच यह बात घर करने लगी है कि बौद्ध युवतियों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया जा रहा है.
लद्दाख में बौद्धों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक राजनीतिक संगठन लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन (एलबीए) ने एक बौद्ध युवती स्टैनज़िन सेल्डोन और मुस्लिम युवक मुर्तज़ा आघा की शादी का विरोध किया है.
जानकारी के मुताबिक स्टैनज़िन और मुर्तज़ा कर्नाटक स्थित एक एनजीओ में साथ काम करते थे. दोनों की मुलाक़ात यहीं हुई और फिर प्यार हो गया.
दोनों की शादी को दो साल हो चुके हैं. लड़की ने अपना नाम बदलकर शिफ़ा रख लिया है. उन्होंने कोर्ट के सामने यह स्वीकार किया कि यह शादी उनकी मर्जी से हुई है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह लड़की को परेशान ना करे.
लेकिन एलबीए का मत कुछ अलग है. बीबीसी से बात करते हुए एलबीए के सचिव सोनम दावा ने कहा “वह लड़की क्या फ़ैसला करती है, हमें इसकी चिंता नहीं है. हम सिर्फ़ यह चाहते हैं कि बौद्ध लड़कियों को बहलाने-फुसलाने के लगातार हो रहे प्रयासों पर रोक लगे.”
वो कहते हैं कि दोनों समुदायों के नेता जल्द ही मुलाकात कर इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेंगे.
दावा के अनुसार कम से कम पांच बौद्ध लड़िकयों को करगिल के पढ़े-लिखे मुस्लिम युवकों ने बहलाया-फुसलाया है. वो कहते हैं कि पिछले 10 साल से ऐसा हो रहा है.
लद्दाख का बौद्ध बहुल इलाका लेह में पड़ता है जबकि करगिल शिया मुसलमानों की आबादी वाला इलाका है.
दावा कहते हैं, “कोई भी नहीं चाहता कि इलाके में सांप्रदायकि तनाव फैले, हम जल्दी ही मुस्लिम नेताओं से मुलाकात करेंगे. सोशल मीडिया पर भी कुछ फ़र्ज़ी अभियान चल रहे हैं, इनका मकसद इलाके में सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल को बिगाड़ना है.”
वे आगे कहते हैं, “हम अपने युवाओं को कुछ करने से रोक नहीं सकते, अगर बौद्ध लड़कियों को बहलाने-फुसलाने का काम लगातार जारी रहा तो इससे होने वाली प्रतिक्रियाओं को हम रोक नहीं सकेंगे. इसलिए हम चाहते हैं कि इस मामले में सरकार हस्तक्षेप करे, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ़ से कोई कदम नहीं उठाया गया है.”
साभार : http://www.bbc.com
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