केरलसे दूर हरियाणामें है एक और सबरीमाला, महिलाओंको नहीं प्रवेशाज्ञा


दिसम्बर ३, २०१८

जब देशका ध्यान केरलके सबरीमाला मंदिरमें महिलाओंके प्रवेशको लेकर हो रहे प्रदर्शनोंपर रहा, तब हरियाणाके पिहोवामें कार्तिकेय मंदिरमें भी ऐसा हो रहा जिसके बारेमें किसीको जानकारी ही नहीं है । हिंदू मान्यताओंके अनुसार कार्तिकेय भगवान शिवके बडे पुत्र हैं । इस मंदिरमें भी महिलाओंका प्रवेश वर्जित है । ऐसा कहा जाता है कि जो भी महिला मन्दिरके गर्भ-गृहमें प्रवेश करेगी वह सात जन्मों तक विधवा रहेगी !

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्लीके लोग मंदिरमें पूजा करने जाते हैं । यहांपर भी पट (बोर्ड) लगाकर महिलाओंको भीतर जानेसे मना किया गया है । इस बारेमें मंदिरके महन्त सीता राम गिरिने बताया, “जब भगवान शिवको अपने उत्तराधिकारीका नाम निर्धारित करनेका समय आया, तब पार्वतीजीने कहा कि जो भी विश्वका भ्रमण कर सबसे पहले वापस आएगा, वह विजयी होगा । कार्तिकेयके छोटे भाईने भगवान शिव और पार्वतीके ही चक्कर लगा लिए और कहा कि वह पूरा वगश्व हैं । उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया । इसपर कार्तिकेय क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी खाल और मांसे मिला खून निकाल दिया और उन्हें श्राप दे दिया । उन्होंने उस समय कहा कि जो भी महिला उन्हें ऐसे देखने आएगी वह सात जन्मों तक विधवा रहेगी ।”

महंत गिरिने बताया कि इसके पश्चात कार्तिकेय पिहोवा आए, जहां उन्हें शांत करनेके लिए सरसोंका तेल चढाया गया । इस मंदिरके गर्भ-गृहमें पत्थरके दो ब्लॉक हैं और भगवान कार्तिकेयकी दो प्रतिमाएं हैं । इनपर दीये जलते रहते हैं । श्रद्धालु इनमें तेल चढाते हैं । माना जाता है कि इससे पूर्वजोंकी आत्माको शांति मिलती है । महंत गिरिने बताया कि यह मंदिर ५वीं शताब्दीमें बना था और उनका परिवार कई पीढियोंसे यहां पुजारी है ।

यद्यपि, उन्होंने बताया कि मंदिरमें महिलाओंको जानेकी आज्ञा है, वे भगवान कार्तिकेयके पिण्डको देख नहीं सकतीं । मंदिरके सहायक महंतने बताया कि कुछ माह पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्रीके दफ्तरने यह पूछा था कि क्या मंदिरमें महिलाओंके जानेपर पूर्ण रूपसे प्रतिबन्द लगाया गया है । उन्होंने बताया कि यह स्पष्ट कर दिया गया है कि गर्भ-गृहमें जानेको लेकर महिलाओं चेतावनी दी जाती है । यदि उसके पश्चात भी कोई जाए तो उसे रोका नहीं जाता ।

 

“सनातन धर्ममें भिन्न-भिन्न देवताओंसे व शक्तिपीठोंसे एक विशेषप्रकारका चैतन्य निकलता है और जो भी उसके सम्पर्कमें जाता है वह उसी अनुरूप कार्यरत होता है । हमारे पूर्वजोंने भी किसीप्रकारसे एक विधान बनाया, क्योंकि वह शक्ति तत्व महिलाओंके अनुरूप नहीं है ! परन्तु यह आजके तथाकथित समानताके अधिकारसे पीडित बुद्धिवादी समझ पाएंगे क्या ? क्योंकि सूक्ष्म जगतकी चीजोंको समझने हेतु साधनाकी आवश्यकता होती है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : नभाटा

 



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