बीयरकी बोतलपर देवी-देवताओंके चित्रसे हिन्दुओंका अपमान, हिन्दुवादियोंकी शासनसे हस्तक्षेपकी मांग !


जनवरी १६, २०१९

‘बीयर’की बोतलपर देवी-देवताओंके चित्रके प्रयोगका एक प्रकरण आया है, जिससे भारत ही नहीं विश्व भरमें रह रहे हिन्दू रूष्ट हैं । सामाजिक प्रसार माध्यमपर विश्व भरके हिन्दू इसे लेकर अपना क्रोध प्रकट कर रहे हैं । भारतीयोंने इस सम्बन्धमें भारत शासनसे हस्तक्षेप करनेकी मांग की है । इसके लिए प्रधानमन्त्री मोदी और सुषमा स्वराजको रखते हुए लोगोंने ‘ट्वीट’ किए हैं । वहीं, बीयर कंपनीके विरुद्ध ऑनलाइन याचिका हस्ताक्षरका अभियान भी आरम्भ किया गया है ।


कम्पनीने अपने विज्ञापनमें बीयर बोतलपर भगवान गणेशके चित्रका प्रयोग किया गया है ! इसके बाद दक्षिण भारत सहित कई अन्य राज्योंमें बीयर कम्पनीका ये आपत्तिजनक विज्ञापन व्हाट्सएप और अन्य सामाजिक प्रसार माध्यमोंके द्वारा प्रसारित हो रहा है ।

बीयर बोतलपर हिन्दू देवी-देवताओंके चित्रका प्रयोग करनेवाली बीयर कंपनी ऑस्ट्रेलियाकी ‘ब्रुकवेल यूनियन’ है । लोगोंने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, विदेशमन्त्री सुषमा स्वराज और कई बड भारतीय नेताओं सहित ऑस्ट्रेलियाके पूर्व प्रधानमन्त्री मैल्कम टर्नुबलको भी टैग करते हुए हस्तक्षेप करने और साथ ही सम्बन्धित कम्पनीके विरुद्ध कडी कार्यवाहीकी मांग की है ।

कम्पनीने हॉलिवुड चलचित्र ‘पायरेट्स ऑफ कैरेबियन’की भांति भगवान गणेशका रूप ही परिवर्तित कर दिया है । इसके पश्चात भी चित्रको देखकर स्पष्ट रूपसे भगवान गणेशको पहचाना जा सकता है ।

ऑस्ट्रेलियन कंपनी ब्रुकवेलद्वारा बीयरकी बोतलों और केनपर हिन्दू देव-देवताओंके चित्र प्रयोग करनेका यह कोई प्रथम प्रकरण नहीं है । इससे पूर्व भी वर्ष २०१३ में कंपनीने अपनी बीयरकी बोतलोंपर भगवान गणेश और लक्ष्मी मांका चित्र प्रयोग किया था । उस समय भी कम्पनी काफी विवादोंमें रही थी । कंपनीने उस समय बीयर बोतलपर देवी लक्ष्मीकी फोटो लगा उनका सिर गणेश भगवानके सिरसे परिवर्तित कर दिया था । इसके अतिरिक्त कम्पनी अपनी बीयरकी बोतल पर गाय और मां दुर्गाके वाहन शेरका भी प्रयोग कर चुकी है ।

वर्ष २०१३ में ऑस्ट्रेलियामें रह रहे हिन्दू समुदायके लोगोंकी आपत्तिपर कम्पनीने उस समय क्षमा मांग ली थी । बताया जा रहा है कि इसके पश्चात भी कंपनीने अपने जालस्थल और बोतलोंपर हिन्दू देवी-देवताओंके चित्रका प्रयोग करना जारी रखा था ।

 

 

“उद्योग पहले भी ऐसे कुकृत्य कर चुका है, इसका अर्थ है कि उसे उचित दण्ड नहीं दिया गया और ऐसा भी नहीं है कि कम्पनी सर्वधर्मसमभाववाली है; क्योंकि वह केवल हिन्दू देवी-देवताओंके ही चित्र प्रयोग करती आई है; अतः इससे स्पष्ट है कि यह जान-बूझ कर किया गया कुकृत्य है और यह केवल हिन्दुओंके प्रखर विरोधकर उचित दण्ड न दिलवानेके कारण ही है । यदि प्रथम बारमें ही प्रखर विरोध किया होता तो क्या वे ऐसा दुस्साहस करते ? निधर्मियोंको ईमेल डालकर परास्त नहीं किया जाता है । सभी धर्मनिष्ठ हिन्दुओंने वैधानिक रूपसे इसका विरोधकर शासनपर बल देना चाहिए, जिससे आस्ट्रेलियामें स्थित उद्योगपर कार्यवाही की जा सके !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : जागरण



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