जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, वहां संविधानके प्रावधान उनपर क्रियान्वित नहीं होते ! – एम. नागेश्वर राव, पूर्व महानिदेशक, सीबीआई


२० जून, २०२२
      ‘भारतमें हिन्दू धर्मका पालन, अध्ययन और प्रचारकी स्वतन्त्रताका अभाव’ विषयपर बोलते हुए केन्द्रीय अन्वेषण विभागके (सीबीआईके) पूर्व महानिदेशक श्री. एम. नागेश्वर रावने कहा, ‘‘संविधानके अनुसार मिलनेवाले ५ अधिकारोंमें से हिन्दुओंको केवल राजनीतिक अधिकार ही मिले हैं; परन्तु धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्वतन्त्रता इन क्षेत्रोंमें हिन्दुओंको समान रूपसे संवैधानिक अधिकारोंका लाभ नहीं मिलता । देशमें हिन्दुओंको द्वितीय श्रेणी नागरिक बनाया गया है; इसलिए हिन्दुओंको समान अधिकार मिलनेके लिए प्रयास होने चाहिए ।”
      उन्होंने आगे कहा, “त्रिपुरेश्वर मन्दिरमें पशुबलि चढानेपर न्यायालय प्रतिबन्ध लगाता है; परन्तु भारतमें प्रतिदिन लाखों पशु काटे जाते हैं, उन पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया जाता ।”
       आज ईसाई और मुसलमान होनेका अर्थ हिन्दुओंका धर्मान्तरण करनेकी अनुमति मिलने जैसा हैै ।
        मन्दिरोंका शासकीयकरण होनेके कारण हिन्दुओंको मन्दिरके सामने अपने ‘चप्पल’ रखनेसे लेकर दर्शन करनेतक सर्वत्र ही पैसे देने पडते हैं । हिन्दुओंको अपने ही भगवानसे मिलनेके लिए पैसे क्यों देने पडते हैं ? यह तो एक प्रकारसे औरंगजेबने जो जजिया कर लगाया था, उससे अधिक भयानक जजिया कर है’, ऐसा कहना अनुचित नहीं होगा ।
           मन्दिरोंको मिलनेवाले धनका मन्दिरोंके विकासके लिए नहीं; अपितु अपने व्ययके लिए उपयोग किया जा रहा है; इसलिए मन्दिरोंको शासनके नियन्त्रणसे मुक्त करनेके लिए हिन्दुओंको प्रयास करने चाहिए ।
         श्री. नागेश्वर रावजीने मन्दिरके ‘सरकारीकरण’के लिए जो बोला है, उसका सभी हिन्दुओंको मुखर होकर समर्थन करना चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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