आज प्रत्येकको धर्म सिखानेकी आवश्यकता !


कुछ समय पूर्व इंदौर आश्रममें गृह प्रवेशका कार्यक्रम निमित्त एक छोटासा हवन रखवाया था, हम यहां किसी पण्डितको नहीं जानते हैं; इसलिए किसी परिचितके माध्यमसे एक पुरोहितको बुलाया था, इससे पूर्व उनके गुरुजीसे भी वार्तालाप हुई थी । उन्होंने कहा था, हम हवनके लिए एक बहुत अच्छे पुरोहितको भेजेंगे ! पुरोहितजीने आरती हेतु दियेमें इतनी अल्प प्रमाणमें घी डाला कि आरतीके मध्य दीप दो बार बुझ गया, बातीमें घी ठीकसे उन्होंने लगाया तक नहीं था ! वे यहीं किसी वैदिक पाठशालामें वेदाध्ययन कर रहे हैं । पूजाके समय उनसे और भी कई छोटी-छोटी चूकें हुईं, मैंने उन्हें प्रेमसे उनकी सर्व चूकें हवनके पश्चात बताई । उसी प्रकार आश्रमके निर्माण कार्य हेतु हमने पांच पुरोहितोंको ‘ॐकारेश्वर’से बुलवाया था । उन्होंने भी बताया कि वे बहुत बडे-बडे कर्मकाण्डके अनुष्ठान करते हैं । भूमि पूजनके समय गणेशकी आरती करनेके पश्चात भूमिपूजनकी विधि पूर्ण किए बिना ही वे सबको आरती लेने हेतु आरतीकी थाली घुमाने लगे ! उसी क्षण उस चूकको होते हुए रोका और मैंने उन्हें सम्पूर्ण पूजनके पश्चात ऐसा करने हेतु बताया !
  पितृपक्षमें भी एक विद्वान पण्डितको बुलवाया था । पुरोहितोंकी स्थितिसे अच्छेसे परिचित हूं; इसलिए उनसे पहले वार्तालाप करती हूं, उन्हें हमारी संस्थाके विषयमें बताती हूं, उनसे सबकुछ शास्त्र और भावसे करनेकी विनती करती हूं, थोडा उनके विषयमें जाननेका प्रयास करती हूं और कभी भी दक्षिणा देनेमें कोताही भी नहीं करती हूं; क्योंकि विप्रगणकी प्रतिष्ठाको पुनर्स्थापित किया बिना धर्म संस्थापनाका कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है ! इस बार पितृपक्षमें शिविरके मध्य सभी पुरुषोंको श्राद्ध और तर्पणकी विधिकी जानकारी हो इस हेतु एक दिवस पार्वण श्राद्धकी विधि रखवाई थी । पुरोहितजीने विधिके लिए सूची बनाते समय सबसे कहा कल सब अपने पितरोंके चित्र लेकर आएं ! मैंने उन्हें ‘पितरोंके चित्रकी पूजा न करें’, यह नम्र विनती की और संकल्पसे पितरोंका आवाहन कर विधि सम्पन्न करें, यह बताया ! पूजाके मध्य उन्होंने ‘गोल बाती’का उपयोग किया तो उन्हें यह भी बताया कि ‘लम्बी बाती’का ही प्रयोग करें ! यह सब प्रसंग क्यों बता रही हूं; क्योंकि आज पुरोहितोंको भी कर्मकाण्डके पीछेका आधारभूत शास्त्र नहीं बताया जाता है और सूक्ष्मका ज्ञान ९० % को होता नहीं है; इसलिए वे क्या अयोग्य कर रहे हैं, उन्हें इसका भान ही नहीं होता है ! यह सब बहुत विद्वान पण्डितोंकी जो शास्त्री या आचार्य कर चुके है, भागवत करते हैं, संस्कृतके आचार्य हैं उनकी बातें कर  रही हूं । मैं किसीका अपमान नहीं करना चाहती, मेरे पिताजी भी पुरोहिताई करते थे; अतः किसी पुरोहितका अपमान करनेका मेरा कोई उद्देश्य नहीं है ! आज प्रत्येक व्यक्तिको धर्मशिक्षण देनेकी कितनी आवश्यकता है, मैं मात्र यह बता रही हूं और मेरा वैदिक गुरुकुल खोलनेका संकल्प यह सब देखकर और दृढ हो जाता है । कर्मकाण्ड एक गहन सूक्ष्म विज्ञान है, उसका शास्त्र समझना अति आवश्यक है; इसलिए अब मैं इस विषयपर भी शिविर लेनेका एवं ‘धर्मधारा श्रव्य सत्संग’में भी इन विषयोंसे सम्बन्धित सत्संग लेनेका सोच रही हूं ।



One response to “आज प्रत्येकको धर्म सिखानेकी आवश्यकता !”

  1. Heramb Joshi says:

    प्रणाम। अति सुन्दर व सार्थक विचार।

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