प्रेरक कथा – कृष्णने पिया राधाके चरणोंका चरणामृत


चरणामृतकी महत्ता और शक्तिका इस पौराणिक कथासे भी ज्ञान होता है कि जब स्वयं भगवानको भी अपने परम भक्तका चरणामृत लेना पडा था ।
      एक बार गोकुलमें बालकृष्ण अस्वस्थ हो गए थे । कोई भी चिकित्सक, वैद्य, औषधि, जडी-बूटी उन्हें ठीक नहीं कर पा रही थी । जब गोपियां उनसे मिलने आईं तो उनकी ऐसी स्थिति देखकर सभीके नैनोंमें आंसू आने लगे । भगवान कृष्णने उन्हें रोनेसे मना किया और उनसे कहा कि यदि वे चाहेंगी तो वो ठीक हो सकते हैं ।
     गोपियोंने उनसे वह उपाय पूछा । तब कृष्णने बताया कि तुम्हारे चरणोंसे बना चरणामृत ही मुझे इस रोगसे निदान दिला सकता है । गोपियां यह सुनकर अचरजमें पड गईं । उन्हें यह पापतुल्य लगा कि स्वयं भगवानको वे अपना चरणामृत कैसे पिलाएं ? तभी कृष्णकी सबसे प्रिय गोपी, राधा वहां आ गईं । जब राधाको यह पता चला कि भगवान अपने रोगका कोई उपचार बता रहे हैं, तब वे तुरन्त इसके लिए सज्ज (तैयार) हो गईं । वे केवल अपने कृष्णको नीरोगी और स्वस्थ देखना चाहती थीं । राधाने अपने चरणोंको धोकर चरणामृत बनाया और कृष्णको उसका पान करवाया । जैसे ही कृष्णने वह चरणामृत पिया, वे स्वस्थ हो गए । कृष्णने बताया कि अटूट प्रेममें इतनी शक्ति है कि वो विश्वास और आस्थाके साथ किए गए प्रत्येक कार्यको सिद्धकर देता है ।


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