राजधर्म, स्वधर्म पालनसे अधिक श्रेष्ठ होता है, यह हम सबके प्रिय योगीजीने पुनः सिद्ध कर दिया ! अपने पूर्वाश्रमी जन्मदाता पिताकी निधनपर उनके अन्त्तिम संस्कारमें उपस्थित न रहकर अपना राजधर्म निभानेवाले योगीजी आजके सभी राजेंताओंके आदर्श होने चाहिए ! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामने भी राजधर्मका पालन करते हुए अपनी प्राणप्रिया सीताजीका परित्याग किया था ! राज्यकर्ताके लिए व्यष्टि कर्तव्यसे, समष्टि कर्तव्य अधिक महत्त्व रखता है, इस शास्त्र वचनका पालन करनेवाले योगीजीको हम नमन करते हैं एवं उनके पूर्वाश्रमी पिताजीकी दिवंगत आत्माको सद्गति मिले, यह प्रभुसे प्रार्थना करते हैं !
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