हिन्दुओंमें रात्रि विवाह करना क्यों आरम्भ हुआ ?


रात्रिका काल तामसिक होनेके कारण मध्य रात्रि विवाह नहीं करना चाहिए, इसपर एक व्यक्तिने कहा कि रात्रिमें विवाहके भी कुछ कारण होंगे ! जी हां, उत्तर भारतमें मुसलमान आक्रान्ता, जो प्रवृत्तिसे ही वासनान्ध होते थे, वे हिन्दुओंके दिनमें होनेवाले विवाहके समय कुंवारी कन्या, जिसका विवाह होनेवाला होता था, उसे उठाकर ले जाते थे और उनका शील हरणकर उन्हें हरममें रखते थे ! इन आतंकोंसे त्रस्त होकर ही उत्तर भारतमें रात्रि विवाहका प्रचलन आरम्भ हुआ एवं रात्रिमें विवाहके पश्चात कन्या पक्षके साथ वरपक्ष भी होनेसे संख्या बलमें वृद्धि हो जाती थी, जिससे धर्मान्ध आक्रमण नहीं कर पाते थे ! मात्र रात्रि विवाह ही क्यों ?, बाल-विवाह, पर्दा प्रथा आदि ये सब स्त्रियोंके शील रक्षण हेतु ही उत्तर भारतमें आरम्भ हुए; इसलिए अब कालानुसार इन नियमोंमें परिवर्तन करना ही चाहिए ! जिस धर्ममें १६ मेंसे एक भी संस्कार कर्म रात्रिमें नहीं किया जाता है, उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार कर्म मध्य रात्रिके तमोगुणी कालमें कैसे हो सकता है ? किंचित सोचें ! – तनुजा ठाकुर



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