क्या अनिष्ट शक्ति साधनामें विघ्न डाल सकती हैं ?


क्या अनिष्ट शक्तियोंका प्रभाव इतना अधिक हो सकता है कि वे हमें अपने भगवानकी पूजा / आराधना ही न करने दें ? मुझे भी विगत २ वर्षोंसे ऐसा अनुभव हो रहा है कि मुझपर भी किसी अनिष्ट शक्तिका प्रभाव पड रहा है;  मुझे कभी कभी ऐसा लगता है कि जैसे कोई शक्ति मुझे कालीकी पूजा करनेसे रोकनेका प्रयत्न कर रही है; किन्तु बुद्धिसे सोचता हूं तो लगता है कि प्रतिदिन देरसे उठनेके कारण पूजा नहीं कर पाता हूं; क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि पूजा करते समय मन शुद्ध होना और शरीर स्वच्छ होना चाहिए और नहानेमें मैं महाआलसी हूं । – आकाश सिंह, जौनपुर उत्तर प्रदेश

उत्तर : वर्तमान समयमें समाजके ७० % सामान्य व्यक्तिको और ९० % अच्छे साधकोंको अनिष्ट शक्तिका तीव्र कष्ट है । क्या आपने रामायण नहीं पढी, जब असुर महर्षि विश्वामित्रके यज्ञको उद्ध्वस्त कर सकते हैं तो हम और आप क्या हैं ! यदि हमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट हो तो वे हमारी साधनामें सूक्ष्मसे विघ्न उत्पन्न करनेका प्रयास करती हैं । आलस्यरुपी स्वभावदोषको अनिष्ट शक्ति प्रबल कर आपको साधना पथसे विचलित कर रही है; अतः इस स्वभावदोषको दूर करनेका प्रयास करें । जब आप पूजापर बैठते हैं तब वह आपको विचलित नहीं कर सकती इसलिए आप पूजापर बैठे ही नहीं, इस हेतु वह  अनिष्ट शक्ति आपके दोषको बढाकर, आपको पूजा करनेसे रोक रही है । आप इस हेतु निम्नलिखित उपाय करें :-
१. आप नियमित नमक पानीमें पैर डालकर १५ मिनट नामजप करें ।
२. रात्रिमें सोनेसे पूर्व काली मांसे प्रार्थना करें कि अगले दिन मेरी पूजामें अनिष्ट शक्ति बाधा न डाल पाए और मैं आपकी पूजा कर सकूं ऐसी आप कृपा करें । यह प्रार्थना न्यूनतम २१ बार कर, तब ही रात्रिमें सोएं ।
३. यदि आप पूजा नहीं भी कर सकते हैं तो नामजप करें, नामजप करने हेतु शरीरकी शुद्धि आवश्यक नहीं है; परन्तु कर्मकाण्ड अंतर्गत पूजा करनेके लिए शरीरकी शुचिता परम आवश्यक है । नामजप मनसे होता है और इसे नामजप या साधनासे ही स्वच्छ किया जा सकता है, स्नानसे शरीर स्वच्छ होता है मन नहीं; अतः आप नामजप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं ।
•  आलस्य इस दोषको दूर करने हेतु गंभीरतासे प्रयास करें । कृतिके स्तरपर प्रयास करें और साथ ही मनको स्वयंसूचना इस प्रकार दें “जब- जब प्रातः आलस्यके कारण मैं समयपर उठ नहीं पाऊंगा और स्नान करना टालूंगा, तब-तब मैं सतर्क हो जाऊंगा और प्रातः अपने दिनका प्रारम्भ स्नान और पूजासे ही करूंगा” यह स्वयंसूचना रात्रिमें सोनेसे पूर्व १५ बार एक माह तक दें और देखें कि इसका आपके ऊपर क्या प्रभाव पडता है ‘मैं आलसी हूं’, यह कहनेमें कोई बडप्पन नहीं; परन्तु अपने दोषोंको मिटा कर दिव्य गुण आत्मसात् करनेको पुरुषार्थ कहते हैं, यह ध्यान रहे ।



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