‘साधना’ गुट बनानेपर अनिष्ट शक्तियोंका आक्रमण !


सूक्ष्म जगत
कल ध्यानसे उठनेपर ‘साधना’ गुट बनानेका निश्चय कर, ‘धर्मधारा सत्संग’के ध्वनिमुद्रणकी सेवा हेतु बैठी ! दो घण्टे प्रयास करती रही; किन्तु कुछ अडचन आनेके कारण ध्वनिमुद्रण नहीं हो पाया, सॉफ्टवेरके सारे समायोजन (सैटिंग) ठीक थे; किन्तु ध्वनिमुद्रण नहीं हुआ, समझमें आ गया ‘साधना गुट’ बनानेका पारितोषिक अनिष्ट शक्तियोंने दे दिया ! एक दिवस पहले ही ध्वनिमुद्रण की थी और ‘गणेशजीके भिन्न नामोंका अर्थके प्रथम भाग’का ध्वनिमुद्रण पुनः किया था; क्योंकि जब इससे पूर्व उस सत्संगका ध्वनिमुद्रण किया था तो साइनस था और इलसिए दोनों भागके सत्संगमें नाकसे स्वर निकल रहा था ! अतः उसका पुनः ध्वनिमुद्रण (ऑडियो रिकॉर्डिंग) कर रही थी; किन्तु बुद्धि अगम्य अडचनोंके कारण कल उसके अगले भागका पुनः प्रसारण नहीं हो पाया । उसके पश्चात एक व्यक्ति जो ‘साउंड एडिटिंग सॉफ्टवेर’के अच्छे जानकर हैं, उनसे ‘टीमव्यूअर’पर सब देखनेके लिए कहा, उन्होंने दोपहर डेढ घण्टे दिए; किन्तु उन्हें भी कुछ समझमें नहीं आया; अतः उन्होंने कहा कि अब रात्रिमें प्रत्यक्ष आकर देखते हैं । रात्रिमें भी एक घ

घण्टे तक क्या कारण है ?, समझमें नहीं आया; किन्तु दो घण्टेसे मेरा ‘सूक्ष्म युद्ध’ भी चल रहा था; अतः एक घण्टे पश्चात ज्ञात हुआ कि नूतन लाए गए ध्वनिप्रसारक यन्त्रसे (माइकसे) जोडनेवाले ‘साउण्डकार्ड’की सबलमें समस्या आ गई और अन्तत: समस्याका हल निकल आया ! किन्तु जब मैंने उसी सॉफ्टवेरको एक और लैपटॉपमें डालने हेतु कहा तो सब ठीकसे चलने लगा तथापि अब सारे केबलके तार पुनः परिवर्तित करेंगे और नूतन तारको निकाल कर फेंक ही दिया है और पुराने तार लगा दिए हैं, जो ठीक करने आये थे, वे भी यह सब देखकर चकित थे ! अनिष्ट शक्तियां मुझे मात्र शारीरिक कष्ट नहीं देती हैं, आर्थिक आघात भी देती रहती हैं;  क्योंकि उन्हें पता है, अभी हमारे पास आयके कोई स्रोत नहीं हैं और इससे मुझे वे मानसिक आघात दे सकती हैं, किन्तु मैं भी ढीठ हूं और ‘उखलमें सिर डाल चुकी हूं तो भय काहे का’ ! ईश्वर हैं न, सब देखेंगे !  पहले तो मुझे लगा १६००० रुपये वाले साउण्ड कार्डपर आक्रमण हो गया; और एक और आर्थिक झटका उन्होंने मुझे दे दिया; किन्तु उसपर हनुमानजी का चित्र लगा है; इसलिए कल उसका रक्षण हो गया ! वैसे ये आर्थिक झटके मुझे लगते ही रहते हैं ! आपको अपने कितने कष्ट बताऊं ! प्रातः और दोपहर वह नहीं चल रहा था और सूक्ष्म युद्धके पश्चात वह ठीक हो गया; अर्थात रिकॉर्डिंग हो सके ऐसा तो हो ही गया ! ऐसे होती हैं अनिष्ट शक्तियां, बिना मार खाए मानती नहीं है; इसलिए दुर्जनोंको सुधारनेके लिए मात्र और मात्र दण्डका विधान है ! सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियां कितनी सजग और हठी रहती हैं और यह जानते हुए भी कि वे हार जाएंगी, वे आक्रमणका एक भी अवसर नहीं छोडती हैं और युद्ध करना तो जैसे उनकी प्रवृत्ति है ! उनके इसी दृढता एवं लगनके कारण, वे अनके बार कुछ समयके लिए सफल हो जाती हैं ! आपके पास पन्द्रह मिनिटका सत्संग भेजना, मेरे लिए प्रतिदिन एक धर्मयुद्ध होता है और अब तो मैं इसकी आदि हो गई हूं । – तनुजा ठाकुर



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