साधना अल्प आयुमें क्यों आरम्भ करनी चाहिए ?


चित्तपर अनेक जन्मोंके असंख्य संस्कारके कारण ही मन अशान्त रहता है | जैसे-जैसे आयु बढती है, पूर्वके संस्कारोंके केन्द्र और पुष्ट हो जाते हैं एवं नए संस्कार निर्माण होते हैं; इसलिए यदि एक पांचवीं कक्षाका विद्यार्थी, जब नामजप करने बैठेगा तो उसके मनमें, अपने माता-पिता, भाई-बहन, क्रीडा(खेल), मित्र और विद्यालयके ही विचार आएंगे; परंतु एक ७० वर्षका वृद्ध जिसने कभी साधना नहीं की, यदि वह नामजपके लिए बैठेगा तो उसे पिछले सत्तर वर्षके सभी संस्मरण ध्यानमंव विघ्न डालेंगे; अतः साधना अल्पायुमें आरम्भ करनी चाहिए | – तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution