आज सामान्य व्यक्तिके जीवनमें बुद्धि अगम्य कारणोंसे कष्टके प्रमाणमें अत्यधिक वृद्धि हुई है और इसके पीछे मूलभूत कारण है, धर्माचरण एवं साधनाका अभाव । हमारे श्रीगुरुके अनुसार वर्तमान समयमें सामान्य व्यक्तिके जीवनमें ८० % समस्याओंका मूल कारण आध्यात्मिक होता है, इसलिए बुद्धिसे बहुत प्रयास करनेपर भी समस्याओंका समाधान नहीं होता है; क्योंकि यदि कष्टका कारण सूक्ष्म हो (आध्यात्मिक हो) तो स्थूल स्तरपर प्रयास करनेसे विशेष लाभ नहीं होता है अर्थात उसके लिए उपाय सूक्ष्म स्तरके ही होने चाहिए । आप सोचें कि यदि आपके जीवनमें दस प्रकारके कष्ट हैं और साधना करनेसे उनमेंसे ८ प्रकारके कष्ट दूर हो जाएंं या उनकी तीव्रता अत्यल्प हो जाए या सुसह्य हो जाए तो क्या आपका जीवन अधिक सुखी नहीं हो जाएगा ? अतः सुखी जीवन एवं आध्यात्मिक कष्टोंपर उपाय हेतु साधना करें । यदि हमारे जीवनमें प्रारब्ध, पितृदोष, अनिष्ट शक्तियों, सूक्ष्म चक्रोंमें बाधा, कुलदेवता प्रकोप, ग्रह पीडा, काला जादू इत्यादि कारणोंसे कष्ट हों तो उन्हें ‘आध्यात्मिक कष्ट’ कहते हैं, ऐसे सभी कष्टपर मात करने हेतु मात्र और मात्र साधना ही एकमात्र पर्याय होता है ।
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