सनातन धर्म सर्व पन्थोंका मूल है


यूरोप धर्मयात्राके मध्य २१ जून २०१३ को इटलीमें रहनेवाले भिन्न देशोंके नागरिकोंद्वारा अनुसरण किए जानेवाले भिन्न धर्मों एवं पन्थोंके प्रतिनिधियोंको एक स्थानीय मेलेके उद्घाटन समारोहमें अपने-अपने धर्मके विषयमें कुछ मिनिट बोलना था । मैं भी वहां उपस्थित थी । मुझे यह कहते हुए क्षोभ हो रहा है कि सिख पन्थके प्रतिनिधिने जो भी बोला, उससे स्पष्ट आभास हो रहा था कि वे सनातन धर्मसे एक पूर्णतः भिन्न पन्थ है । सिख, जैन, बौद्ध इन सब पन्थोंका जनक वैदिक सनातन धर्म है । सनातन धर्मसे अपने अस्तित्वको भिन्न बताना, इन पन्थोंके अस्तित्वके लिए विनाशकारी हो सकता है । यदि कोई शाखा अपने आपको हरे-भरे पेडसे विभक्त कर ले तो उसके अस्तित्वका नाश होना अवश्यम्भावी हो जाता है । वैदिक सनातन धर्म स्वयम्भू और शाश्वत है । पन्थ ईश्वर निर्मित नहीं, आध्यात्मिक दृष्टिसे उन्नत जीवसे निर्मित होनेके कारण उनपर उत्पत्ति, स्थिति और लयका सिद्धान्त लागू होता है । जिसकी भी उत्पत्ति होती है, वह कालके प्रवाहमें नष्ट होता ही है, यह तो शाश्वत सत्य है; अतः पन्थोंको यदि अधिक कालतक अपने अस्तित्वको बनाए रखना है तो शाश्वत और मूल सनातन धर्मके आधारको कदापि नहीं छोडना चाहिए ! बौद्ध, जैन और सिख मूलतः हिन्दू ही हैं, यह ध्यान रहे ! मात्र हिन्दू धर्म अन्तर्गत वे भिन्न पन्थोंके अनुयायी हैं, यही सत्य है, शेष सब असत्य है । – तनुजा ठाकुर



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