मैं दुबईमें चाकरी (नौकरी) करता हूं, आपके सत्संगोंसे कुलदेवताका महत्त्व ज्ञात हुआ, कुछ दिवस पश्चात भारतमें अपनी पुत्री और पत्नीके साथ कुलदेवीके दर्शन हेतु जानेवाला हूं, कृपया बताएं कि हम ऐसा क्या करें कि हमें उनका अधिकाधिक आशीर्वाद प्राप्त हो । - प्रमोद राणा, दुबई


उत्तर : कुलदेवीके आशीर्वाद हेतु निम्नलिखित तथ्योंका पालन कर सकते हैं –
१. कुलदेवीके दर्शन हेतु जानेसे पूर्व प्रार्थना करें कि उनका दर्शन, आपको एवं आपके परिवारको निर्विघ्न प्राप्त हो ।
२. ‘अधिकसे अधिक’ नामजप करें, साथ ही ३६ माला प्रतिदिन ‘श्रीगुरु देव दत्त’का जप करें; क्योंकि आज अधिकांश घरोंमें पितृदोष है, अतृप्त पितर देवकार्यमें विघ्न डालते हैं; अतः सम्पूर्ण यात्रामें प्रतिदिनमें जब तक कुलदेवीका दर्शन न हो जाए, यह जप नियमित करें एवं शेष समय अपने कुलदेवीका या अपने गुरुमन्त्रका या यदि कोई विशिष्ट नामजप आपको किसी अध्यात्मविदने बताया हो तो उसे करें !
३. कुलदेवीके दर्शनके समय कुलाचार अनुसार उनका पूजन करें या करवाएं और सब भावपूर्वक हो यह ध्यान रखें !
४. यदि कुलदेवीका स्थान जीर्ण-शीर्ण हो तो अपनी आर्थिक क्षमता अनुसार उसका निर्माण करवाएं या कुलके अन्य लोगोंकी सहायता लेकर उसे ठीक करवाएं ।
५. वहां नियमित पूजा होती रहे इसकी भी व्यवस्था करें या करवाएं ।
६. कुलदेवीसे क्षमा याचन इसप्रकार करें, “हे मां जाने-अनजाने हमसे या हमारे कुल और परिवारके लोगोंसे यदि आपकी पूजा-आराधनामें कोई चूक हो गई हो तो उसके लिए हमें क्षमा करें । हमपर एवं हमारे कुलके अन्य सदस्योंपर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें । हम साधना पथपर अग्रसर रहें एवं समष्टि हितार्थ अर्थात राष्ट्र और धर्मके लिए भी अपना योगदान दे सकें, ऐसा हमसे प्रयास होने दें, हम आपके शरणागत हैं ।
७. कुलदेवीके दर्शन पूजन उपरान्त उन्हें एवं दत्तात्रेय देवताको कृतज्ञता व्यक्त करें ।
८. कुलदेवीके दर्शनके पश्चात अपने घरपर प्रतिदिन पूजा करते समय उनके विग्रह या छायाचित्रपर एक पुष्प अवश्य चढाएं । चूंकि आप दुबईमें रहते हैं और पुष्प न मिल पाए तो उन्हें स्मरण कर धूप-दीप दिखाएं और एक माला (१०८ बार) उनका नामजप करें !
९. प्रत्येक वर्ष कुलदेवीके दर्शन हेतु अपने परिवारके साथ अवश्य जाएं ! सर्व कुलाचार अपने कुटुम्बके सदस्यसे ग्रामके कुलपुरोहितसे पूछकर लें एवं उसे करनेका प्रयास करें ।
१०. गुरुके मिलनेसे पूर्व कुलदेवी हमारी भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रगति हेतु उत्तरदायी तत्त्व है; अतः उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति सदैव रखें एवं अपनी अगली पीढीको भी सिखाएं !  



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