शंका समाधान


प्रश्न : आजकल चम्मचसे भोजन ग्रहण करना, सभ्यताका प्रतीक माना जाता है और हाथसे  भोजन ग्रहण करनेवालेको हीन दृष्टिसे देखा जाता है, क्या आप बता सकती हैं कि हमारी भारतीय संस्कृतिमें हाथसे भोजन ग्रहण करनेका प्रचलन क्यों है, क्या इसका कोई अध्यात्मशास्त्रीय कारण है ? – श्रीमती नीलिमा कौर, फ्रैंकफर्ट, जर्मनी

उत्तर : हमारी भारतीय संस्कृतिकी दिनचर्या एवं संस्कार, अध्यात्मशास्त्र आधारित रहे हैं । हमारे शरीरसे सर्वाधिक मात्रामें शक्तिका प्रवाह, हमारे  पैरोंके अंगुलियोंसे होता है और उसके पश्चात्  हाथोंकी अंगुलियोंके पोरोंसे होता है । इस कारण हम वयोवृद्ध, तपोवृद्ध एवं ज्ञानवृद्धके चरण   स्पर्श करते है और वे अपने हस्तकमल हमारे सिरपर जहां सहस्रार चक्र है या पीठपर जहां अनाहत चक्र है, उन सूक्ष्म चक्रोंपर रखकर अपनी आशीर्वाद रुपी  शक्तिका संचार करते हैं ।
हाथ से भोजन ग्रहण करते समय अंगुलियोंसे निकलनेवाली शक्ति भोजनमें आवेशित हो जाती है और यह शक्ति भोजनको सुपाच्य बनानेमें सहायता करती है। चम्मचसे जबतक हम भोजन लेकर मुहमें डालते हैं, तबतक वह शक्ति, चम्मचसे प्रवाहित होकर भोजनमें नहीं आ पाती है; अत: हाथ से भोजन ग्रहण करना अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोणसे योग्य और स्वास्थ्यके दृष्टी से पोषक भी है एवं जो तथ्य, सूक्ष्म अध्यात्मशास्त्र को सम्मत होता है, वह सुसंस्कृत सभ्यताका प्रतीक होता है ! तनुजा ठाकुर



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