विवाहोपरान्त स्त्रीको किस कुलदेवताका नाम जपना चाहिए ?


सामान्यतः विवाहोपरान्त स्त्रीका नाम परिवर्तित होता है, मातृपक्षका (मायकेका) सभी कुछ त्याग कर, स्त्री ससुरालमें आती है । एक अर्थसे वह उसका पुनर्जन्म ही होता है; इसलिए विवाहित स्त्रीको अपने ससुरालके कुलदेवताका जप करना चाहिए । यदि कोई स्त्री बाल्यकालसे विशेष नामजप कर रही हो व उन्नत साधक हो तो विवाहके पश्चात् जब तक गुरुमन्त्र न मिले भी तो वे उसी नामजपको कर सकती हैं । यदि गुरुने किसी स्त्रीको उसके विवाह पूर्व नामजप दिया हो तो उसे वही नाम जपना चाहिए । यदि स्त्रीका सम्बन्ध-विच्छेद हो गया हो और उसकी सन्तान हो तो स्त्रीको अपने ससुरालके कुलदेवताका ही जप करना चाहिए और यदि सन्तान न हो और अपने पिताके घर रह रही हो तो अपने पिताके कुलदेवताका जप करना चाहिए । – तनुजा ठाकुर



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