शिव उपासना (भाग – १)


श्रावण मासके प्रत्येक सोमवारको शिवलिङ्गपर कुछ विशेष वस्तु अर्पित की जाती है, जिसे शिवामुट्ठी कहते हैं ।

१. प्रथम सोमवारको कच्चे चावल एक मुट्ठी
२. दूसरे सोमवारको श्वेत तिल एक मुट्ठी
३. तीसरे सोमवारको खडे मूंग एक मुट्ठी
४. चौथे सोमवारको जौ एक मुट्ठी तथा
५. जिस मासमें पांच सोमवार हों तो पांचवें सोमवारको सत्तू (सतुआ) चढाया जाता है ।
यदि पांच सोमवार न हों तो अन्तिम सोमवारको दो मुट्ठी भोग अर्पित करते हैं ।
ऐसी मान्यता है कि श्रावण मासमें भगवान शिवकी पूजा करनेसे सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं । महादेव सर्व समर्थ हैं । वे मनुष्यके समस्त पापोंका क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं । इनकी पूजासे ग्रहबाधा भी दूर होती है ।
१. यदि किसी व्यक्तिको सूर्यसे सम्बन्धित बाधा है, तो विधिवत पञ्चोपचारके पश्चात लाल अथवा बैंगनी आकके पुष्प एवं पत्तोंसे महादेवकी पूजा करनी चाहिए ।
२. यदि चन्द्रमासे समस्या है, तो प्रत्येक सोमवारको शिवलिङ्गपर गायका दूध अर्पित करें, साथ ही सोमवारका व्रत भी करें ।
३. मङ्गलसे सम्बन्धित बाधाओंके निवारण हेतु गिलोयकी लताके रससे भगवान शिवका अभिषेक करना लाभप्रद रहता है ।
४. बुधसे सम्बन्धित समस्या दूर करने हेतु विधाराकी जडीके रससे महादेवका अभिषेक करना उचित रहता है ।
५. बृहस्पतिसे सम्बन्धित समस्याओंको दूर करने हेतु प्रत्येक बृहस्पतिवारको हलदी मिश्रित दूध शिवलिङ्गपर अर्पित करना चाहिए ।
६. शुक्र ग्रहको अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पञ्चामृत एवं घृतसे शिवलिङ्गका अभिषेक करें ।
७. शनिसे सम्बन्धित बाधाओंके निवारण हेतु गन्नेके रस एवं छाछसे शिवलिङ्गका अभिषेक करें ।
८. राहु-केतुसे मुक्तिके लिए कुश एवं दूर्वाको जलमें मिलाकर भगवान शिवका अभिषेक करनेसे लाभ प्राप्त होता है ।

शास्त्रोंमें मनोरथ पूर्ति व सङ्कट मुक्ति हेतु विभिन्न प्रकारकी धारासे महादेवका अभिषेक करना शुभ बताया गया है ।

विभिन्न धाराओंसे महादेवके अभिषेकका फल : जब किसीका मन अशान्त हो, निराशासे भरा हो, परिवारमें कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख एवं कष्ट मिल रहे हों, तब शिवलिङ्गपर दूधकी धारा चढाना सबसे उत्तम उपाय है ।
इसमें भी शिवमन्त्रोंका उच्चारण करते रहना चाहिए ।



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