शिव उपासनामें विभिन्न धाराओंसे महादेवके अभिषेकके फलका शेष भाग :
१. वंशकी वृद्धि हेतु शिवलिङ्गपर शिव सहस्रनाम बोलकर घृत अर्थात घीकी धारा अर्पित करें ।
२. भगवान शिवपर जलधारासे अभिषेक मनकी शान्ति हेतु श्रेष्ठ मानी गई है ।
३. भौतिक सुखोंको पाने हेतु इत्रकी धारासे शिवलिङ्गका अभिषेक करें ।
४. रोगोंसे मुक्ति हेतु मधुकी (शहदकी) धारासे शिव पूजन करें ।
५. गन्नेके रसकी धारासे अभिषेक करनेपर आर्थिक समृद्धि व परिवारमें सुखद वातावरण बना रहता है, सभी सुख एवं आनन्द प्राप्त होते हैं ।
६. सभी धाराओंसे श्रेष्ठ है, गंगाजलकी धारा । भगवान शिवको गंगाधर कहा जाता है, उन्हें गंगाकी धार अत्यधिक प्रिय है । गंगा जलसे शिव अभिषेक करनेपर चारों पुरुषार्थोंकी प्राप्ति होती है ।
७. सरसोंके तेलसे अभिषेक करनेसे शत्रुओंका शमन होता है ।
८. अभिषेक करते समय महामृत्युञ्जय मन्त्रका अवश्य उच्चारण करना चाहिए, इससे फल अधिक प्राप्त होते हैं ।
९. बिल्वपत्र चढानेसे जन्मान्तरके पापों व रोगोंसे मुक्ति मिलती है ।
१०. कमल पुष्प चढानेसे शान्ति व धनकी प्राप्ति होती है ।
११. कुश चढानेसे मुक्ति मिलती है ।
१२. दूर्वा चढानेसे आयुमें वृद्धि होती है ।
१३. धतूरा अर्पित करनेसे पुत्र रत्नकी प्राप्ति व पुत्रका सुख प्राप्त होता है ।
१४. कनेरका पुष्प चढानेसे परिवारमें कलह व रोगसे निवृत्ति मिलती है ।
१५. शमीपत्र चढानेसे पापोंका नाश होता है, शत्रुओंका शमन व भूत-प्रेत बाधासे मुक्ति मिलती है ।
कार्य सिद्धि हेतु :
सभी इच्छा पूर्ति हेतु हैं भिन्न शिवलिङ्ग –
१. पार्थिव शिवलिङ्ग सभी कार्य सिद्धि हेतु
२. गुडका शिवलिङ्ग प्रेम पाने हेतु
३. भस्मसे बने शिवलिङ्ग सर्वसुखकी प्राप्ति हेतु
४. जौ, चावल अथवा आटेका शिवलिङ्ग दाम्पत्य सुख तथा सन्तान प्राप्ति हेतु
५. दहीसे बना शिवलिङ्ग ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु
६. पीतल तथा कांस्यका शिवलिङ्ग मोक्ष प्राप्ति हेतु
७. सीसा इत्यादिका शिवलिङ्ग शत्रु संहार हेतु
८. पारेका शिवलिङ्ग अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष हेतु
शिवलिङ्गके पूजनमें रखें इन बातोंका ध्यान :
१. शिवलिङ्ग जहां स्थापित हो, वहां पूर्व दिशाकी ओर मुख करके ही बैठें ।
२. शिवलिङ्गकी दक्षिण दिशामें बैठकर पूजन न करें ।
Leave a Reply