निद्राके समय होने वाले सूक्ष्म आघातके लक्षण एवं उपाय (भाग – १)
सूक्ष्म जगत
निद्राके समय होनेवाले अनिष्ट शक्तियोंद्वारा सूक्ष्म आघातके लक्षण एवं उपाय (भाग – १)
वर्तमान कालमें अधिकांश हिन्दू योग्य प्रकारसे साधना नहीं करते हैं और इस कारण उनका वास्तु अशुद्ध होता है अर्थात उसमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट या वास होता है ।धर्मशिक्षणके अभावमें अधिकांश हिन्दू निद्राको एक सामान्य कृत्य मानते हैं । वस्तुतः सामान्य व्यक्तिका निद्राके समय तमोगुण बढ जाता है; इसलिए यदि वह सूक्ष्म जगतके सभी तथ्योंसे अनभिज्ञ होकर रात्रिके कालमें सोता है तो उसके वास्तुकी अनिष्ट शक्तियां उसपर सरलतासे आघात कर सकती हैं, इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं –
१. बुरे या भयावह स्वप्न आना
२. रात्रिमें थकावट होनेपर भी निद्रा न आना
३. अर्ध रात्रिमें ही निद्राका टूट जाना
४. प्रातः निद्रासे उठनेपर पलकोंका अत्यधिक भारी होना और निद्रा न टूटना या उठनेका मन न करना
५. निद्रासे प्रातः उठनेपर शरीरमें वेदना रहना
६. निद्रासे उठनेपर सिरमें भारीपन या वेदना होना
७. किसीने बिछावनमें जकड लिया हो ऐसा लगना
८. रात्रिमें अनियन्त्रित वासनाका जागृत होना या निद्रा टूटनेपर वासनाके तीव्र विचार आना
९. निद्राका बार-बार टूटना
१०. रात्रिमें सोनेसे पूर्व मनका भिन्न व्यसनोंके अधीन होना, इसमें मद्यपान करना, अश्लील जालस्थान देखना भी है
११. ऊंचे स्वरमें खर्राटे लेना
१२. दांत किटकिटाना
१३, बच्चेका निद्रामें जागकर उठ जाना या भयभीत होकर निद्रासे उठकर रोने लगना या भयसे कांप जाना
१४. किसी सूक्ष्म देहकी छायाका भान होना और भय लगना
१५. निद्रामें बुदबुदाते हुए बातें करना
१६. मृत परिजनोंको बार-बार स्वप्नमें देखना
१७. अंधेरे कक्षमें सोनेमें भय लगना
१८ रात्रिमें छत या पासके कक्षसे भिन्न प्रकारके स्वर सुनाई देना (क्रमशः)
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