हमारे पैतृक ग्रामके काली मन्दिरमें मेरे आरती प्रारम्भ करनेके दो वर्ष पश्चात् एक स्त्रीमें और एक पुरुषमें ‘काली माता’का संचार होने लगा । जब यह समाचार मुझे ज्ञात हुआ तो उस समयतक मैं देहलीमें स्थानांतरित हो चुकी थी । गांवके कुछ साधकोंद्वारा ज्ञात हुआ कि जब उनमें उस शक्तिका संचार होता है तो वे आरती बंद करने हेतु कहती हैं या देवी साधनाके विरुद्ध भी कुछ बातें बताते थे, वैसे वे मेरे समक्ष कभी भी प्रकट नहीं हुए अर्थात् उनके अंदर वह संचार नहीं हुआ । जब ख्रिस्ताब्द २०१० के नवम्बर माससे गांवमें आरती आरम्भ हुई और फरवरी २०११ से अनिष्ट शक्तियोंका काली माताके मन्दिरमें प्रकटीकरण आरम्भ हुआ तथा वह एक वर्षसे अधिक चला तो एक दिवस एक साधकमें प्रकट अनिष्ट शक्तिसे मैंने पूछा भी कि मैंने सुना है गांवोंमें देवीका संचार हुआ करता है, ऐसेमें काली माताके प्रांगणमें आजतक कोई देवी माता क्यों प्रकट नहीं हुई, तो उस अनिष्ट शक्तिने हंसते हुए कहा, “कैसे प्रकट होंगे ?, तुम्हें सूक्ष्मसे सब समझमें जो आता है, तुम्हें कैसे बुद्धू बनाएंगे ?” मैं उनका उत्तर सुनकर हथप्रभ होकर हंस पडी, अर्थात् उस दिवस अनिष्ट शक्तियोंने स्पष्ट रूपसे बता दिया था कि वे उन्हींके समक्ष प्रकट होती हैं जिन्हें सूक्ष्म जगतकी जानकारी नहीं होती है । गांवके लोग भोले और धर्मभीरु तो होते हैं ही, उन्हें धर्मका भी अधिक ज्ञान नहीं एवं सूक्ष्मसे सम्बंधित बातें तो अच्छे-अच्छे अध्यात्मविद्की बुद्धिसे भी परे हैं । शक्तिका संचार होनेपर सभी ग्रामवासी उन्हें देवी मानकर उनकी पूजा करते, धूप दिखाते, उन्हें नमस्कार करते, जिससे उन दोनों व्यक्तिके अहंको भी बल मिलता गया । जिस पुरुषमें शक्तिका संचार होता था, वह कुछ ही दिवस उपरांत अनियंत्रित होकर कुछ घरोंमें जाकर, उनके मन्दिरोंमें देवीके शृंगार उजाडने लगे थे, ऐसेमें उस घरके व्यक्तियोंने उनकी पिटाई की या पीटनेका प्रयास किया और इससे उनके अंदर पुनः शक्तिका संचार होना बंद हो गया!
ग्राममें एक व्यक्ति, जिनकी स्त्रीमें शक्तिका संचार होता था, उसके सम्बन्धमें जन जागृति करने हेतु मैं जब-जब गांव जाती थी तो मन्दिर प्रांगणसे ध्वनि प्रक्षेपक यंत्रसे (माइक) उन्हें सतर्क करते हुए कहा था, “यह देवस्थान नियमित आरती, सत्संग एवं पूजनसे अत्यधिक जागृत हो गया; अतः यहां किसी स्त्रीके प्रकट होनेपर, उनकी पूजा इत्यादि न करें; क्योंकि उनके अंदर अनिष्ट शक्तिका संचार है;” किन्तु उन्होंने मेरी बात नहीं मानी और दो वर्षतक दोनों नवरात्रियों एवं कभी-कभी अन्य समयपर भी उस स्त्रीका प्रकटीकरण एवं उसके पश्चात् उसके पतिद्वारा उसकी पूजा इत्यादिका क्रम चलता रहा । वे इससे पूर्व काली मन्दिरके तथाकथित कर्ता-धर्ता थे; अतः मेरा वहां कार्य आरम्भ करना, मन्दिरके आय-व्ययमें हस्तक्षेप करना, उन्हें रास नहीं आया था । साथ ही काली मन्दिरमें मूर्तिकी सार्वजनिक स्थापनाके समय होनेवाले अनाचारका मेरेद्वारा विरोध करनेपर भी वे मुझसे कुपित थे; अतः मेरे समझानेपर भी उन्होंने अपनी पत्नीके संचारको देवी मांका संचार कहकर जो मनमें आया, वह मन्दिरमें करते रहे । वे विगत कुछ वर्षोंसे सार्वजनिक कालीपूजाके समय मूर्ति स्थापना इत्यादिके सर्वकार्यमें अग्रणी रहे थे । ख्रिस्ताब्द २०१३ की आश्विन अमावस्याको भी मूर्ति स्थापना एवं काली पूजाके सार्वजानिक कार्यक्रममें भी वे अग्रणी बन, काली पूजनके साथ ही उस दिवस भी उनकी पत्नीके प्रकटीकरण एवं पूजन इत्यादि हुआ । अगले दिवस काली मन्दिरके प्रांगण मूर्तिके रहते ही उनके ज्येष्ठ भ्राताका असामयिक निधन हो गया । जब मुझे यह समाचार प्राप्त हुआ तो मेरा मन दु;खी हो गया, मैंने अनेक बार सार्वजनिक रूपसे यह बताया था कि उनकी पत्नीमें शक्तिका संचार है, वह दैवी, नहीं आसुरी है और उसका पूजन इत्यादि एवं प्रोत्साहन मन्दिरमें नहीं होना चाहिए; क्योंकि इससे दैवी कोप सहन करना पड सकता है और उस असुरद्वारा उनके कुलको कष्ट पहुंच सकता था; अहंकारके मदमें उन्होंने मेरी बात अनसुनी कर दी थी ! उसी वर्ष ‘उपासना’के स्थापना दिवसके कार्यक्रम निमित्त एक माह पश्चात् मैं गांव गई तो मैंने सार्वजनिक रूपसे सबको बताया कि किस प्रकार मेरे अनेक बार मना करनेपर भी इस जागृत देवस्थानमें प्रकटीकरणके माध्यमसे समाजको भ्रमित किया जा रहा था और किस प्रकार देवीने उस कुटुंबके व्यक्तिको दण्डित किया; अतः अब तो वे सतर्क हो जाएं । सम्भवतः भाईकी मृत्युके झटकेसे पति-पत्नीको भी अपनी भूलका भान हो गया ! इन दोनों ही प्रसंगोंमें प्रकट होनेवाले व्यक्ति मेरे कार्यके विरोधक रहे हैं और दोनोंको ही अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट भी है, ऐसेमें माता काली उनमें प्रकट हो सकती है क्या ?, जो आरतीका विरोध करे, धर्म कार्यका विरोध करे, धर्म कार्य करनेवालेका विरोध करे, क्या माता काली उनके घरमें प्रकट हो सकती हैं ? और आश्चर्यकी बात तो यह है कि इस प्रसंगके पश्चात् उस स्त्रीमें देवी प्रकट होना बंद हो गया; संभवत: उन्हें अपने घरमें हुई मृत्युके पश्चात् अभी भूलका भान हो गया !
इस प्रसंगसे जो सीखने हेतु मिला वह प्रस्तुत करती हूं –
अ. ९९ % अनिष्ट शक्तियां ऐसे व्यक्तिमें प्रकट होती हैं जिन्हें अनेक वर्षोंसे अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता है !
आ. समाजको सूक्ष्म जगतके विषयमें जानकारी न होनेका सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियां अत्यधिक लाभ उठाती हैं और समाजको पूर्वकी घटनाओंकी, कुछ तथ्योंकी सटीक जानकारी देकर या भविष्यवाणी कर सर्वप्रथम वे अपने प्रति विश्वास निर्माण करती हैं एवं तत्पश्चात् दिशाभ्रमित कर उनकी हानि करती हैं । ध्यान रहे अनिष्ट शक्तियोंके लिए सूक्ष्मसे, भूत और भविष्य देखना सामान्यसी बात है और यदि उसकी साधना अच्छी हो तो उसके पास अनेक सिद्धियां भी होती हैं । और वे अत्यधिक चतुर होती हैं उन्हें ज्ञात होता है कब, कैसे किस तथ्यका प्रयोग कर समाजको प्रभावित करना है ।
इ. ऐसी अनिष्ट शक्तियोंका प्रकटीकरण ऐसे लोगोंमें अधिक होता है जिनमें अहंका प्रमाण अधिक हो या जिन्हें लोकैषणा (समाजमें सब उनकी वाहवाही करे) अधिक हो, या जिन्हें किसी न किसी प्रकारका मानसिक रोग हो।
ई. ऐसी शक्तियां लोगोंको मूर्ख बनाने हेतु किसी सकारात्मक शक्तिके रूपमें अपना परिचय देकर अपनी लोकैषणाको पूर्ण करती है ।
उ. ऐसी अनिष्ट शक्तियां संतोंके या जिन्हें सूक्ष्म जगतकी जानकारी हो उनके समक्ष अपने छद्म रूपमें प्रकट होनेसे कतराती हैं ।
ऊ. अनिष्ट शक्तियां जब किसी व्यक्तिमें संचारित होती हैं तो वे उस कुटुंबका एवं उस व्यक्तिको हानि अवश्य ही पहुंचाती हैं, चाहे वह अनिष्ट शक्ति उनके घरके पूर्वज ही क्यों न हो !
ऋ. काली, दुर्गा, जैसे देवियां रौद्र रूपमें पूजी जाती हैं; अतः यदि संत या किसी सूक्ष्म जगतकी जानकारी रखनेवालेद्वारा स्पष्ट रूपसे मना करनेपर आप उनके देवस्थानको स्थूल या सूक्ष्म रूपसे अपवित्र करते हैं तो ऐसी रौद्र देवियां कुपित होकर आपको निश्चित ही दण्डित करती हैं, वह दण्ड आपके स्वयंके या आपके परिवारके सदस्यके मृत्युके रूपमें भी हो सकता है; अतः ऐसी रौद्र देवियोंकी उपासना सतर्क होकर करें ।
ऌ. आज ९९% प्रतिशत देवियोंके संचारकी घोषणा करनेवाले व्यक्ति अनिष्ट शक्तियोंके कष्टसे पीडित होते हैं, देवीका संचार सामान्य व्यक्तिमें होना असम्भव है और वह संतोंमें या उच्च कोटिके उन्नतोंमें सम्भव है; किन्तु ऐसे व्यक्ति देवीके प्रकट होनेका तथ्य गुप्त ही रखते हैं । ९९ % संचार जो समाजमें दिखाई देता है वह अनिष्ट शक्तियोंका ही होता है और एक प्रतिशत देवीकी गौण शक्तियोंका होता है । देवीकी शक्तिका संचार तो मात्र ८०% से अधिक स्तरके संतमें सातत्यसे एवं ६०% से अधिक आध्यात्मिक स्तरके भावास्थामें रहनेवाले दैवी भक्तोंमें कुछ कालके लिए ही सम्भव होता है । अतः यदि आपके घरमें किसी व्यक्तिमें दैवी संचार होता है तो सर्वप्रथम यह जांचे कि जिसमें संचार हो रहा है उसे आध्यात्मिक कष्ट तो नहीं, आपके घरमें भी अत्यधिक पितृ दोष तो नहीं, जिस व्यक्तिमें यह संचार हो रहा है, वह मानसिक रूपसे किसी कारण अस्वस्थ तो नहीं रहता, उसमें सामान्य व्यक्तिकी अपेक्षा अधिक अहम् तो नहीं, देवीके संचारके पश्चात् आपके घरका कष्ट तो नहीं बढ गया है, जिस व्यक्तिमें यह संचार होता है, उसकी प्रवृत्ति राजसिक या तामसिक तो नहीं, यदि ऐसा है तो सतर्क हो जाएं आपके घर कोई देवी नहीं, सूक्ष्म जगतकी कोई अनिष्ट शक्ति देवीका रूप धारण कर प्रकट होती है । ऐसेमें उसे संचारके समय कोई प्रोत्साहन न दें, नामजप करें, उसे गौमूत्र पिलाएं, यज्ञकी विभूति माथेपर लगाएं, डरें नहीं यदि वह देवी होगी तो आपका कोई हानि नहीं करेगी; किन्तु यदि अनिष्ट शक्ति होगी तो आपको डराने हेतु अनर्गल बातें अवश्य करेंगी ! उसी प्रकार देवीका संचार आनेवाली स्त्रियोंसे उपचार न कराएं वे आपको भविष्यमें भारी हानि कर सकती हैं, इस बातका ध्यान रखें ! संक्षेपमें कलियुगमें दैवीसंचार नगण्य समान ही होता है; अतः यदि सूक्ष्मकी जानकारी न हो तो इन सब विषयोंमें न ही उलझें और न ही ऐसे तथ्योंको प्रोत्साहन दें, ने ही ऐसे दैवी संचारवालेसे किसी विषयमें मार्गदर्शन लें ! – तनुजा ठाकुर