एक व्यक्तिने कहा आप अपनी सूक्ष्म संबंधी अनुभूतिसे अपनी सिद्धियोंका प्रदर्शन करना चाहती हैं ?


 

अपनी अनुभूतियोंके माध्यमसे सिद्धिका प्रदर्शन क्यों करूंगी, मैं तो मात्र सभी हिंदुओंको यह बताना चाहती हूं कि सूक्ष्म जगतको समझें | ये सारी बातें तो हमारी सनातन संस्कृतिका अविभाज्य अंग रही हैं | जैसे पुत्रका किसी अन्य ग्राममें दुर्घटना हो जाये तो मांको उसका आभास हो जाना, किसीकी घटनाकी पूर्वसूचना हो जाना, जिसका स्मरण करें, उसका संदेश आ जाना या उसका स्वयं आ जाना, वैद्यका नाडी देख रोग बता देना, किसी बच्चेको कष्ट हो तो घरकी ज्येष्ठ स्त्री उसकी दृष्टि नमक, मिर्च और सरसोंसे उतारना और रोता बच्चा किलकारी मारकर हंसना , जैसे अनेक प्रसंग सामान्य हिन्दूके लिए सरल सी बात थी | मैं मात्र आपको यह बताना चाहती हूं कि यह सब आप आजके युगमें भी साध्य कर सकते हैं, मात्र आवश्यकता है योग्य साधनाकी ! ध्यान रहे आप सत्त्व गुणी सनातन संस्कृतिको जितना अधिक आचरणमें उतारेंगे आपका सूक्ष्म उतनी ही सरलतासे विकसित हो जाएगा ! अपनी अनुभूतियोंके माध्यमसे मैं मात्र आपको यह बताना चाहती हूं ! – तनुजा ठाकुर (१२.२.२०१२)



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution