हमारे दोनों भौहोंके मध्यमें आज्ञा चक्र होता है, इस चक्रमें सूक्ष्म द्वार होता है जिससे इष्ट और अनिष्ट दोनों ही शक्तियां प्रवेश कर सकती हैं, यदि इस सूक्ष्म प्रवेश द्वारको हम एक विशेष रूपमें सात्त्विक पदार्थका लेप दें तो इससे ब्रह्माण्ड में व्याप्त इष्टकारी शक्तियां हमारे पिण्डमें आकृष्ट होती हैं जिससे हमारा अनिष्ट शक्तियोंसे रक्षण भी होता है । तिलक लगाते समय चन्दन, बुक्का, विभूति, हल्दी-कुमकुम जैसे सात्त्विक पदार्थोंका प्रयोग करना चाहिए, साथ ही, स्त्रियोंने गोल और पुरुषोंने खडे तिलक लगाने चाहिए, यदि कोई विशेष सम्प्रदायसे सम्बन्धित हों तो उसके अनुसार तिलक लगाना चाहिए । तिलक लगानेसे मन शान्त रहता है, अनिष्ट शक्तियोंसे रक्षण होनेके कारण और देवत्व आकृष्ट होनेके कारण हमारे चारो ओर सूक्ष्म कवचका निर्माण होता है । आजकल कुछ स्त्रियांं दूरसंचार यंत्रपर (टीवी) धारावाहिकोंको देखकर विचित्र आकारका टीका लगाती हैं, उससे भी ऐसे व्यक्तियोंको आसुरी शक्तियोंका कष्ट होता है । उसी प्रकार आजकल हाटमें (बाजार) उपलब्ध प्लास्टिककी बिंदी लगानेसे भी कोई लाभ नहीं होता; क्योंकि उसमें देवत्वको आकृष्ट करनेकी क्षमता नहीं होती ! तिलक धारण करनेसे प्रत्येक जीवात्माको उसका अध्यात्मशास्त्रीय लाभ अवश्य मिलता है, चाहे वह हिन्दू हो, ईसाई हो या अन्य किसी भी धर्मका हो !! – तनुजा ठाकुर
Leave a Reply