तुलसी गब्बार्डका आलोचकोंको प्रखर उत्तर, मुझे हिंदू होनेपर गर्व !


जनवरी २८, २०१९

राष्ट्रपति चुनावमें अपनी प्रतिस्पर्धा करने जा रहीं डेमोक्रैटिक पार्टीकी सांसद तुलसी गबार्डने उनपर हिन्दू राष्ट्रवादी होनेका आरोप लगानेवाले अपने आलोचकोंको प्रखर उत्तर दिया है । तुलसीने आलोचकोंको उत्तर देते हुए कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीसे मेरी भेंटको इसके साक्ष्यके रूपमें दर्शाया गया, जबकि मोदीसे मिलनेवाले अहिन्दू नेताओंपर कोई प्रश्न नहीं किया गया जोकि दोहरे मानदण्डको दिखाता है । उल्लेखनीय है कि ३७ वर्षीय तुलसीने २०२० में राष्ट्रपति मतदानमें प्रतिस्पर्धाका निर्णय किया है और ऐसा करनेवाली वह अमेरिकी इतिहासमें प्रथम हिन्दू हैं ।

तुलसीने कहा, “भारतके लोकतान्त्रिक रूपसे चुने गए नेता, प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदीसे मेरी भेंटको इसके साक्ष्यके रूपमें दर्शाया गया और इसे एक प्रकारसे असामान्य बताया गया, जबकि राष्ट्रपति (बराक) ओबामा, मन्त्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डॉनल्ड ) ट्रम्प और कांग्रेसके मेरे कई मित्र उनसे भेंट कर चुके हैं और उनके साथ कार्य कर चुके हैं । अहिन्दू नेताओंसे कुछ भी न पूछने और अमेरिकाके लिए मेरी प्रतिबद्धतापर प्रश्न करना दोहरे मापदण्डको दिखाता है, जो केवल धर्मान्धतासे ही उत्पन्न होता है । अमेरिकी कांग्रेसमें चयनित प्रथम हिन्दू महिला तुलसीने रविवार, २७ जनवरीको ‘रिलिजियस न्यूस सर्विसेज’में एक सम्पादकीयमें उनके, समर्थकों एवं दानकर्ताओंके विरुद्घ चलाए जा रहे अभियानकी व्याख्या हिन्दू अमेरिकियोंकी रूपरेखा (प्रोफाइलिंग) बनाने एवं उन्हें लक्ष्य बनाए जाने और बिना किसी आधारके उन्हें उद्विग्न किए जाने’के रूपमें की है ।

इस लेखमें उन्होंने स्वयंको हिन्दू राष्ट्रवादी बताए जानेके आरोपोंकी ओर संकेत किया । उन्होंने पूछा, “कल क्या मुस्लिम या यहूदी अमेरिकी कहेंगें । जापानी, लातिन अमेरिका या अफ्रीकी अमेरिकी कहेंगें ?” गबार्डने कहा, “मेरे देशके प्रति मेरी प्रतिबद्धतापर प्रश्न करना वहीं अहिंदू नेताओंपर कोई प्रश्न नहीं करना, दोहरे मापदण्डको स्पष्ट करता है, जो केवल एक बातमें निहित हो सकती है, वह है धार्मिक भेदभाव ! मैं हिन्दू हूं और वे नहीं !”


सांसदने कहा, “कांग्रेसमें चयनित प्रथम हिन्दू-अमेरिकी होने और अब राष्ट्रपति पदके लिए प्रथम अमेरिकी-हिन्दू दावेदार होनेका मुझे गर्व है ।” गबार्डने कहा कि समाचारोंमें राष्ट्रपति पदके लिए उनकी प्रस्तुतिको भले ही ऐतिहासिक बताया जा रहा है, हो सकता है कि अमेरिकियोंको विश्वके तीसरे बडे धर्मके बारेमें विस्तारसे जानकारी भी दी हो; परन्तु कुछने इसके स्थानपर न केवल मुझे लेकर, वरन मेरे समर्थकोंको लेकर भी संदेह, भय एवं धर्मान्धता भडकाई है ।

 

“आजके सुप्त व धर्महीन हिन्दुओंको जिन्हें स्वयंको हिन्दू बोलनेमें लज्जा आती है, उन्हें तुलसी गबार्डजीसे शिक्षा लेनी चाहिए कि कैसे उन्होंने न केवल स्वयंको गर्वसे हिन्दू सम्बोधन किया वरन धर्मान्धोंको प्रखर उत्तर दिया । आज भारतमें ही नहीं विश्वमें भी हिन्दुओंको उपेक्षाकी दृष्टिसे देखा जाता है और इसका कारण केवल हिन्दू हैं; क्योंकि हममें धर्माभिमान नहीं है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : नभाटा



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