UN में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर सुषमा स्वराज और शशि थरूर में तकरार


संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को मान्यता दिलाने के मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बीच लोकसभा में बुधवार को तीखी तकरार देखने को मिली। लक्ष्मण गिलुवा और रमा देवी के पूरक प्रश्न के जवाब में सुषमा ने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में एक आधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दिलाने के लिए प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रक्रिया इसमें बाधक बन रही है। मगर प्रश्नकाल के दौरान शशि थरूर ने सवाल दागा कि आखिर इस प्रयास की जरूरत ही क्या है। इसके बाद सुषमा ने भी पलटवार कर उनके ‘ज्ञान’ पर सवाल खड़े कर दिए।
थरूर का सवाल और सुषमा का जवाब :
‘हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं राजभाषा है। हिंदी सिर्फ एक ही देश भारत में बोली जाती है। इसलिए इसको संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा नहीं बनाया जा सकता। आज प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री हिंदी बोलते हैं। भविष्य में कोई तमिलनाडु या पश्चिम बंगाल से प्रधानमंत्री बन सकता है, हमें उन्हें संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में बोलने के लिए मजबूत क्यों करना चाहिए?’-शशि थरूर
‘हिंदी केवल भारत में बोली जाती है, यह सिवाय आपकी अज्ञानता के और कुछ नहीं है। हिंदी भारत के अलावा फिजी में बोली जाती है। जितने भी गिरमिटिया देश हैं, चाहे मॉरीशस हो, त्रिनिदाद टोबैगो, सूरीनाम हो, इन देशों में लोग हिंदी बोलते हैं। अमेरिका में अप्रवासी भारतीय हिंदी बोलते हैं । उनको हिंदी समझ में आती है, तभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब हिंदी में संवाद करते हैं, तब उत्साह से प्रतिक्रिया देते हैं ।’-सुषमा स्वराज
सिर्फ पैसा खर्च करने से नहीं मिलेगा दर्जा :
लोकसभा में पूछे गए पूरक प्रश्न के जवाब में सुषमा ने कहा, ‘किसी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने के लिए वोटिंग होती है। इसके लिए किसी देश की ओर से लाए जाने वाले प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 देशों को राशि देनी पड़ती है, लेकिन गरीब मुल्क मतदान में हिस्सा लेने के बदले यह खर्च उठाने में सक्षम नहीं है।’ एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि अगर बात सिर्फ पैसों की होती तो सरकार करोड़ों खर्च करने को तैयार है। लेकिन सिर्फ पैसों के बल पर यह दर्जा हासिल नहीं किया जा सकता। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के 129 सदस्य देशों का समर्थन जुटाने की भी जरूरत होती है।
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संयुक्त राष्ट्र में कई बार हिंदी में भाषण :
सुषमा स्वराज ने कहा कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा नहीं है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी में अपने भाषण दिए हैं। खुद उन्होंने तीन बार इस अंतरराष्ट्रीय संस्था को हिंदी में संबोधित किया है। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी बोली गई है।
अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में आगे बढ़ाने को प्रयास जारी
विदेश मंत्री ने बताया कि उनके मंत्रालय में हिंदी में जिस गति से काम हो रहा है,पहले कभी नहीं हुआ। हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में आगे बढ़ाने के उद्देश्य से फरवरी 2008 में मारीशस में एक विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना की गई थी। वर्तमान वित्त वर्ष में विदेश स्थित भारत के राजनयिक मिशनों, केंद्रों के माध्यम से विश्वभर में हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु 5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
-80 करोड़ लोग दुनिया के हिंदी बोल या समझ सकते हैं
-यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी भी शामिल
-150 से ज्यादा दुनिया के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ी और पढ़ाई जाती है
-91 विश्वविद्यालयों में हिंदी चेयर है दुनियाभर में
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इन देशों में बोली जाती है हिंदी :
नेपाल, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका, कैरेबियाई देश, त्रिनिदाद एंड टोबेगो और कनाडा
-इंग्लैंड, अमेरिका और मध्य एशिया में भी इसे बोलने व समझने वालों की संख्या काफी ज्यादा



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