उपासनाका गुरुकुलु कैसा होगा ? (भाग-१)


उपासनाका आश्रम एक पारंपारिक आश्रम है तो स्वाभाविक है कि यहां विद्याप्राप्ति कराई जाएगी |  विद्याकी परिभाषा जिन्हें नहीं ज्ञात है उन्हें बता दें, विद्या अर्थात  ‘सा विद्या या मुक्तये’ अर्थात जो हमें मुक्तिका मार्ग दिखाए, उसे विद्या कहते हैं ! इसलिए आजकी शिक्षा निति जो मात्र भोगकी ओर प्रवृत्त करती है वह विद्या नहीं है ! उपासनाके गुरुकुलमें यह विद्या बाल्यकालसे लेकर वृद्धावस्थातक सभीको दी जाएगी !
      इसमें पुरोहितों, पूर्ण कालिक साधकों व सन्यासियोंके लिए भिन्न पाठ्यक्रम होगा,  सैनिक बननेकी इच्छा रखनेवालों, राजनेताओं, युवाओं व नव विवाहितोंके लिए भी कुछ वर्षका पाठ्यक्रम होगा  ! आजकी शिक्षा पद्धति समान अर्थात ‘सब धान ढाई पसेरी’ जैसा नहीं होगा अर्थात भिन्न वर्गके लिए भिन्न पाठ्यक्रम होगा; इसलिए उपासनाका गुरुकुलं पूरे संसारमें अद्वितीय होगा, यह आपको जैसे-जैसे इस गुरुकुलके विषयमें बताउंगी आपको समझमें आएगा |  प्राचीन गुरुकुल पद्धति अनुसार शास्त्र एवं  विज्ञान व उससे सम्बंधित स्थूल और सूक्ष्म दोनोंका शोध कार्य करनेवाला यह एक स्थल होगा !
     बालक व बालिकाओंके लिए तो गुरुकुल होगा ही | यदि समाजको शीघ्र सात्त्विकताकी ओर प्रवृत्त करना है तो जैसे आज प्रौढ शिक्षा दी जाती है वैसे ही भोगमें लिप्त आजके समाजको हिन्दू राष्ट्रमें सुसंस्कृत करना होगा और यह कार्य उपासनाका गुरुकुल करेगा | वस्तुत: मेरा शोध तो इसपर चल रहा है कि यह गुरुकुल ऐसा हो जिसके पाठ्यक्रम हिन्दू राष्ट्रमें सर्वत्र लागू किया जा सके ! इसलिए उपासनाके गुरुकुलके मुख्य उद्देश्योंमें एक उद्देश्य, सुसंस्कृत समाजका निर्माण करना होगा |
  यदि आप ऐसे गुरुकुलके निर्माणमें किसी भी प्रकारसे योगदान देना चाहते हैं तो हमें अवश्य संपर्क करें 


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